पटना: बिहार के 11 जिलों को जल्द ही प्रदूषित पानी से मुक्ति मिल जायेगी. इनकी समस्या को देखते हुए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने बाह्य संपोषित स्वास्थ्य परियोजना के तहत शुद्ध पेयजल मुहैया कराने का निर्णय लिया है. इस पर 235 करोड़ रुपये खर्च होंगे. गया को इस योजना का सबसे पहले लाभ मिलेगा. योजना के तहत अधिक-से-अधिक महादलित टोलों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है.
चलंत प्रयोगशाला से होगी जांच
11 जिलों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति हो, इसके लिए चलंत प्रयोगशालाओं के माध्यम से पानी की शुद्धता की जांच करायी जायेगी. विभाग ने 11 जिलों के लिए चार चलंत प्रयोगशालाएं चलाने का निर्णय लिया है.
अभी सभी जिलों में पानी की जांच स्थायी प्रयोगशालाओं के माध्यम से की जा रही है, जो हर दिन 250 नमूनों की ही जांच कर पाता है. लेकिन, चलंत प्रयोगशालाओं में जांच होने से पानी की शुद्धता व गुणवत्ता में सुधार के लिए त्वरित कार्रवाई हो सकेगी. बाह्य संपोषित स्वास्थ्य परियोजना के तहत शुद्ध जल की आपूर्ति 100 मिनी पाइपों से की जायेगी.
शौच की प्रथा भी है जिम्मेवार
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने पेयजल की अशुद्धि के लिए खुले में शौच की प्रथा को भी जिम्मेवार ठहराया है. जिन 11 जिलों में अशुद्ध पानी की रिपोर्ट मिली है, उनमें हर घर, स्कूल, पंचायत भवन, सामुदायिक भवन व धर्मशालाओं में शौचालय का निर्माण कराया जायेगा. इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों के शौचालय को रनिंग वाटर से जोड़ा जायेगा. इससे लेगों की परेशानी दूर होगी.