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जउन परेशानी चुनाव घड़ी नेता के ओही परेशानी अगहन में किसान के
सुमंत सच कहिओ तऽ ई घड़ी छोटका से लेके बड़का किसान सभे के उहे हालत होएल हे, जउन हालत बिहार विधानसभा चुनाव घड़ी छोटका से लेके बड़का नेता के होएल हल़ गोड़ में एक्को पहर चैन नऽ़ धनकटनी के साथे-साथे रबी के बुनाई भी सगरो चल रहल हे़ मजूर के अइसन टाना-टानी चल रहलो ह […]
सुमंत
सच कहिओ तऽ ई घड़ी छोटका से लेके बड़का किसान सभे के उहे हालत होएल हे, जउन हालत बिहार विधानसभा चुनाव घड़ी छोटका से लेके बड़का नेता के होएल हल़ गोड़ में एक्को पहर चैन नऽ़ धनकटनी के साथे-साथे रबी के बुनाई भी सगरो चल रहल हे़ मजूर के अइसन टाना-टानी चल रहलो ह कि का कहिओे़ लोग कहऽ हथन कि देश के कउनो राज्य में चल जा, कोई अप्पन भेंटाथन कि नऽ बिहारी मजूर जरूर से जरूर भेंटा जैतन
सुन के माथा ठनकऽ हे-गोदी में लइका आउ नगर में ढिंढोरा़ अप्पन राज्य बिहार जनसंख्या के हिसाब से देश में नम्बर तीन पर हे़ आउ जनसंख्या के हिसाब से हिंआ मजूर के कउनो कमी नऽ होवे के चाहऽ हल, बाकि मजूर न मिले से खेती करेवालन के ई अगहन के कनकनी में भी पसेना छूट रहल हे़ हालत तो ई होएल हे कि सांझ पहर किसान सभे के मजूर ही जाके आरजू-मिनती तक करे पड़ रहल हे़ एतने नऽ मजबुरी में किसान लोग मजूर से डिहवार-गोरैया नियन तपौन ढारे के बात तक कह रहलन हे़ इ बच्छर भर कोई तरह से तपौन ढार-ढूर के काम तो चल जाएत, बाकि आगे बच्छर से इ पर ब्रेक लग जाएत़ काहे से कि अप्पन बिहार में 01 अप्रैल 2016 से शराबबंदी कानून लागू होवेवाला हे़
जउन इ कानून लागू हो गेल तऽ आगे साल से तपौन भेंटात कहां से? अब तपौनो गछला के बादो मजूर भोरे केकर खेत में जैतन इ बात के कउनो गारंटी नऽ हे़ बड़ी मोस्किल हो गेलक हे-खेती-बारी करना आउ कराना़ गांव-देहात से हल-बैल तो जइसे उपह गेल, कमोबेसी सभे खेत ट्रैक्टर इया पावर टेलर से जोता रहल हे़ धान रोपाई आउ धान कटाई के भी मशीन तो निकलल हे, बाकि खेत के जोत कम होवे से गांव तक एकर पहुंच नऽ हो रहलक हे, जेकरा चलते आझो धान रोपाई आउ धान कटाई घड़ी मजूर के जरूरत पड़ऽ हे़ खास करके अगहन महीना में मजूर के टाना-टानी बेसी होवऽ हे़ समय पर मजूर न मिलला से खेती के काम पछूआ जाहे, जेकरा चलते पूंजी-पगहा लगला के बादो पैदा कम होवऽ हे़
कहउत हे-समय से पहिले चेत किसान। अब किसान के चेतला से का होवत, जब मजूरे के टाना-टानी हे तऽ किसान बेचारा करहीं का सकऽ हथन ़ दिन पर दिन मजूर के समस्या सूरसा के मुंह लेखा बढल जा रहल हे़ गांव के अगल-बगल ईंटा भट्ठा खुलला से किसान सभे के परेशानी आउरो बढ रहल हे़
बेसी करके नौजवान मजूर खेती में काम न करके ईंटा भट्ठा पर कमाएल चाहऽ हथन, जहां नगद नारायण भेंटा हे़ बिहार में निमन खेती लेल जरूरी हे कि बिहार से मजूर के पलायन रोकल जाए आउ नऽ तो मजूर बिना, पूंजी-पगहा के रहते केतने खेत परित रह जाएत़ आउ खेत परित रहे के मतलब हे-पैदा में कमी़ पैदा बेसी से बेसी होवे, एकरा लेल निमन बीज, निमन खाद, पटवन के निमन साधन के साथे सबला जरूरी हे-मजूर ़ मजूर के बिना खेती भला कइसे कैल जाएत़ जइसे राजनीति बिना नेता के नऽ करल जा सकऽ हे, ओइसहीं खेती बिना मजूर के नऽ करल जा सकऽ हे़ अभी एतने़
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