पटना : राजधानी में रोक के बावजूद बन रहे अपार्टमेंट पर रोक के लिए कोर्ट ने संबंधित क्षेत्र के थानाध्यक्ष को जिम्मेवारी दी है. साथ ही यह कहा है कि यदि रोक नहीं लगायी गयी, तो संबंधित थाना अध्यक्षों पर अवमाननावाद की कार्रवाई की जायेगी.
इसके बावजूद उस क्षेत्र में छिपा-चुरा कर अपार्टमेंट का निर्माण कार्य जारी है, लेकिन अब तक किसी भी थाना अध्यक्ष पर कार्रवाई नहीं की गयी है. इसी का नतीजा है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी बिल्डर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं.
ज्ञात हो कि हाइकोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए नगर आयुक्त ने 20 फीट से कम चौड़ी सड़क पर बन रहे निर्माणाधीन अपार्टमेंट, गलत तरीके से नक्शा पास करा कर बनाये जा रहे अपार्टमेंट व बिल्डिंग बाइलॉज का उल्लंघन कर बनाये जा रहे अपार्टमेंटों के निर्माण पर रोक लगा दी है. इसी के साथ 141 अपार्टमेंटों पर निगरानीवाद का केस दर्ज किया गया है.
पिछले दो दिनों में निगम प्रशासन ने तीन अपार्टमेंटों में छापेमारी की और 20 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की, जबकि यह जिम्मेवारी थाना प्रभारियों की है. सवाल यह उठता है कि थाना प्रभारी बिल्डरों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहें और अगर ये कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो इनके खिलाफ अवमाननावाद का मामला क्यों नहीं चलाया जा रहा है.
निगम ने जिन तीन अपार्टमेंटों पर छापेमारी कर निर्माण कार्य करते लोगों को पकड़ा था, उनमें से एक अपार्टमेंट एसके पुरी में है. शेष दो अपार्टमेंट राजेंद्रनगर रोड नंबर तीन व बोरिंग रोड के हैं.
भेजा जा रहा नोटिस
निगम क्षेत्र में बिल्डिंग बाइलॉज का उल्लंघन कर बनाये जा रहे अपार्टमेंटों में निर्माण कार्य पर बिहार नगरपालिका अधिनियम की धारा 323 व 327 के तहत रोक लगायी गयी है. इस धारा के तहत निर्माण करते जो भी लोग पकड़े जाते हैं, उन पर प्राथमिकी दर्ज करायी जाती है. साथ ही ऐसी बिल्डिंगों में पानी व बिजली के कनेक्शन पर रोक लगा दी जाती है. इसे लेकर बिल्डर व पेसू जीएम को भी नोटिस दिया जा रहा है.