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सुधरने लगी बिजली की हालत

– संजय – पटना : वर्ष 2015 तक बिजली के क्षेत्र में सुधार के अपने दावे पर नीतीश सरकार बखूबी काम कर रही है. शून्य उत्पादनवाले इस राज्य में कांटी थर्मल पावर से 110 मेगावाट उत्पादन शुरू हो गया है. अगले साल मार्च में बरौनी यूनिट से उत्पादन शुरू हो जायेगा. बिहार पहले पूरी तरह […]

– संजय –

पटना : वर्ष 2015 तक बिजली के क्षेत्र में सुधार के अपने दावे पर नीतीश सरकार बखूबी काम कर रही है. शून्य उत्पादनवाले इस राज्य में कांटी थर्मल पावर से 110 मेगावाट उत्पादन शुरू हो गया है.

अगले साल मार्च में बरौनी यूनिट से उत्पादन शुरू हो जायेगा. बिहार पहले पूरी तरह केंद्रीय कोटे पर निर्भर था. तब सरकार ने बरौनी व कांटी का आधुनिकीकरण के अलावा विस्तारीकरण पर काम शुरू किया. नवीनगर, कजरा, चौसा व पीरपैंती में करीब चार हजार मेगावाट पर काम चल रहा है.

जरूरत के अनुसार बिजली खरीदी भी जा रही है. 2005 में राज्य में बमुश्किल से 700 मेगावाट बिजली आपूर्ति हो पाती थी, जो तीन हजार मेगावाट तक आ पहुंची है. संचरण-वितरण व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए पहले चरण में नॉर्थ बिहार में 935.27 करोड़ व साउथ बिहार में 968.87 करोड़ खर्च किये जा रहे हैं. दूसरे चरण में क्रमश: 2099.58 करोड़ व 1938.50 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

पावर सब स्टेशन की क्षमता बढ़ायी गयी है. 30 हजार से अधिक आबादीवाले 135 शहरों में दो चरणों के तहत पहले आइटी और फिर संचरण-वितरण का काम होगा. राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत 100 से अधिक आबादीवाले गांवों में शत-प्रतिशत लोगों को बिजली पहुंचायी जा रही है.

किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, सीवान, पटना, गया, बांका, रोहतास, नालंदा, नवादा व भोजपुर में काम शुरू कर दिया गया है. हर माह 1500 से 2000 किमी जजर्र तार बदले जा रहे हैं. उपभोक्ताओं को पहले बिजली बिल जमा करने के लिए कंपनी के कार्यालय जाना पड़ता था. अब मध्य बिहार ग्रामीण बैंक, सहज वसुधा केंद्र, सुविधा केंद्र, मोबाइल बिजली बिल संग्रह वाहन, ऑनलाइन भुगतान व एयरटेल मनी मोबाइल से बिल जमा करने की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है.

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