बोर्ड में योजनाएं पारित, वर्षों बाद भी धरातल पर नहीं – हाल नगर निगम का – फाइलों में ही बंद पड़ी हैं योजनाएंसंवाददाता, पटनानिगम क्षेत्र में नागरिक सुविधा को लेकर योजना बनाने में निगम प्रशासन आगे है. योजना से संबंधित प्रस्ताव को निगम प्रशासन स्थायी समिति व निगम बोर्ड की बैठक में भी प्रस्तुत किया, जिससे बोर्ड व स्थायी समिति ने मंजूरी भी दी. प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के दो-तीन माह के भीतर योजनाओं को धरातल पर उतारने की कवायद शुरू हो जानी चाहिए. लेकिन, निगम में स्थिति यह है कि पिछले तीन-चार वर्षों से योजनाएं तो पारित हैं, पर वे मुख्य नगर अभियंता शाखा की फाइलों में ही बंद पड़ी हुई हैं. इसका खामियाजा शहर के लोग भुगत रहे हैं. बोर्ड से पारित योजनाओं पर रिपोर्ट. सार्वजनिक स्थलों पर यूरिनल बनाना निगम क्षेत्र में कहीं भी सार्वजनिक स्थलों पर यूरिनल की व्यवस्था नहीं है. इसके कारण शहर के मुख्य चौक-चौराहे से लेकर सड़क के किनारे तक को लोगों ने अघोषित रूप से पेशाब खाना बना दिया है. इस समस्या को दूर करने के लिए अफजल इमाम की अध्यक्षता वाली स्थायी समिति व बोर्ड ने वर्ष 2013 में ही योजना को मंजूरी दी. इसके बाद से निगम के आलाधिकारी कभी दिल्ली, तो कभी कोलकाता निगम क्षेत्र के यूरिनल डिजाइन व लागत का अध्ययन ही करते रहे. इस दौरान स्थायी समिति की बैठक में समीक्षा भी होती रही, लेकिन आज भी योजना की फाइल मुख्य नगर अभियंता की शाखा में दबी हुई है. पेयजल संकट से शहर को मुक्त करना राजधानी में शुद्ध पीने के पानी की बड़ी समस्या है. यह समस्या शहर में रहनेवाले लोगों के साथ-साथ बाहर से आनेवालों को भी झेलनी पड़ती है. इसका मुख्य कारण है कि शहर के किसी चौक-चौराहे या सार्वजनिक स्थल पर पेयजल की व्यवस्था नहीं की गयी है. स्थिति यह है कि राजधानी की किसी भी सड़क पर आपको प्यास लग जाये, तो चापाकल या नल ढूंढ़ते रह जायेंगे. बोतल बंद पानी ही प्यास बुझाने का सहारा दिखता है. इसको लेकर भी दो वर्ष पहले योजना तैयार की गयी, जिसे स्थायी समिति ने मंजूरी दी. निगम में राशि के अभाव होने के कारण योजना लटक रही थी, तो स्थायी समिति ने निजी कंपनी से योजना पूरी कराने का भी निर्णय लिया. इसके बावजूद योजना पूरा नहीं की गयी. हालांकि, नगर आयुक्त जय सिंह ने दो माह पहले सार्वजनिक पेयजल को लेकर स्थल चिह्नित करने के लिए शहर में भ्रमण किया और कई स्थान भी चिह्नित किये, लेकिन अब भी योजना लटकी हुई है. मुहल्लों में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्थाशहर की मुख्य सड़कों से लेकर मुहल्लों की सड़कों पर शाम होते ही अंधेरा पसर जाता है. इस समस्या को दूर करने के लिए मुख्य व प्रधान सड़क व मुहल्लों की सड़कों पर स्ट्रीट लाइट लगाने की योजना बनायी गयी. इसमें प्रधान व मुख्य सड़क पर बुडको को लाइट लगाने की जिम्मेवारी दी गयी. वहीं, मुहल्लों की गलियों में लाइट लगाने के लिए वार्ड स्तर पर चार-चार लाख की योजना बनायी गयी. इस योजना को स्वीकृति मिले भी एक वर्ष हो गया. इस योजना को पूरा करने के लिए वार्ड स्तर पर विद्युत पोल का सर्वे भी किया गया, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण योजना अब तक पूरा नहीं की जा सकी है. फॉगिंग मशीन की खरीद का मामलावर्ष 2012 में 59 छोटी फॉगिंग मशीनों की खरीदारी की गयी, जो उसी वर्ष खराब भी हो गयी. इस खराब मशीन को दुरुस्त कराने को लेकर बोर्ड व स्थायी समिति से निर्णय लिया गया, लेकिन आज तक खराब मशीन को ठीक नहीं किया जा सका. स्थिति यह है कि अब 12 नयी बड़ी फॉगिंग मशीन खरीदने की योजना बनायी गयी. इस योजना को भी बोर्ड से मंजूरी मिल गयी. इसको लेकर टेंडर भी निकाला गया, लेकिन कोई एजेंसी ही नहीं मिली. अब विभागीय स्तर से मशीन खरीदने का प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है.
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बोर्ड में योजनाएं पारित, वर्षों बाद भी धरातल पर नहीं
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