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शौक बनी आदत ने छुड़ाया परिवार

शौक बनी आदत ने छुड़ाया परिवारसंवाददाता, पटनानशा कोई भी हो, हमेशा नुकसान ही करता है. भले हम इसे शौक के तौर पर पीना शुरू करते हैं, लेकिन यह कब हमारी आदत बन जाती है, इसका पता भी नहीं चलता. जब पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी रहती है. इसकी आदत लग चुकी […]

शौक बनी आदत ने छुड़ाया परिवारसंवाददाता, पटनानशा कोई भी हो, हमेशा नुकसान ही करता है. भले हम इसे शौक के तौर पर पीना शुरू करते हैं, लेकिन यह कब हमारी आदत बन जाती है, इसका पता भी नहीं चलता. जब पता चलता है तब तक काफी देर हो चुकी रहती है. इसकी आदत लग चुकी रहती है. हम इसके गिरफ्त में आ चुके रहते हैं. चाहते हुए भी हम इससे पीछा नहीं छुड़ा पाते हैं. बिहार सरकार ने शराबबंदी की घोषणा करके एक सराहनीय कदम उठाया है. शराब ने कैसे कई जिंदगी को बर्बाद कर दिया. परिवार छूट गया. परिवार के लोग नफरत करने लगे. ऐसे ही कुछ लोगाें की कहानी को हम आपके लिए लाये हैं. प्रभात खबर की ओर से आज से इसकी शुरुआत की जा रही है. इसमें हम ऐसे लोगों की कहानी उन्हीं के जुबानी आपके पास रखेंगे, जिनकी जिंदगी कैसे अर्श से फर्श पर आ गयी है. शराब के कारण टूट गयी बहन की शादीमैंने सोचा भी नहीं था कि बहन की शादी टूटने का कारण मैं बनूंगा. मेरी दो बहन है. दोनों को मैं बहुत ही प्यार करता हूं. मेरे पापा बिहार सचिवालय में एक बड़े पद का कार्यरत थे. अब रिटायर हो चुके हैं. जब मैं 15 साल का था तो दोस्तों के बीच हंसी-मजाक में कभी कभार शराब थोड़ा बहुत पी लेता था. मैं पढ़ने में बहुत ही अच्छा है. एक बार में होटल मैनेजमेंट के एंट्रेंस पास कर गया. पूणे में काेर्स करने गया. वहां पर दोस्तों के संगत में कभी कभार शराब और सिगरेट पी लेता था, लेकिन बाद में आये दिन दोस्त जबरदस्ती शराब पिलाने लगे. इसके बाद तो शराब पीने की वजह हम ढूंढ़ने लगे. धीरे-धीरे हर दिन हम लोग शराब पीने लगे. हमार आदत बन गयी. इसका असर यह हुआ कि कई बार मैं गाड़ी चलाते हुए एक्सीडेंट भी कर गया. अभी तक पांच से छह बार मेरा एक्सीडेंट हो चुका है. मैं हमेशा नशे में रहता था. पढ़ाई पर ध्यान देना कम हो गया. इससे मैं होटल मैनेजमेंट के तीसरे साल में आकर फेल कर गया. तीन विषयों में मुझे बैक लग गया. पढ़ाई छूट गयी. मैं वापस पटना अपने घर आ गया. उसी समय बड़ी बहन की शादी ठीक हो रही थी. मेरे बारे में लड़के वालों को पता चल गया. इसके बाद लड़के वालों ने शादी तोड़ दिया. इससे परिवार टूट गया. अभी भी बहन की शादी नहीं हुई है. मैं अब इस शराब से पीछा छुड़ाना चाहता हूं. मैं बीमार रहने लगा हूं. मेरा लीवर कमजोर हो गया है. कुदंन किशोर (बदला हुआ नाम)हमारे यहां शराब से पूरी तरह गिरफ्त में आ चुके लोग आते हैं. हम उनका इलाज करते हैं. कई बार इलाज से लोग ठीक हो कर चले जाते हैं. इसमें युवाओं की संख्या बहुत हो रही है. अधिकांश लोग संगत में आकर ही शराब पीने के आदी हो रहे हैं. डाॅ. विवेक विशाल, हितैषी हैपीनेस होम

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