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क्लीनिकल इस्टीब्लेसमेंट एक्ट का विरोध, संशोधन के लिए अड़ा आइएमए

क्लीनिकल इस्टीब्लेसमेंट एक्ट का विरोध, संशोधन के लिए अड़ा आइएमए बिहार सरकार एक्ट लागू करने से पहले एक बार आइएमए से करे बात संवाददाता, पटनाक्लीनिकल एक्ट लागू हो, आइएमए इसका विरोध नहीं करती है. लेकिन, बिना एक्ट में संशोधन करायें अगर सरकार एक्ट को लागू करेगी, तो डॉक्टर अपने क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन नहीं करायेंगे. ये […]

क्लीनिकल इस्टीब्लेसमेंट एक्ट का विरोध, संशोधन के लिए अड़ा आइएमए बिहार सरकार एक्ट लागू करने से पहले एक बार आइएमए से करे बात संवाददाता, पटनाक्लीनिकल एक्ट लागू हो, आइएमए इसका विरोध नहीं करती है. लेकिन, बिना एक्ट में संशोधन करायें अगर सरकार एक्ट को लागू करेगी, तो डॉक्टर अपने क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन नहीं करायेंगे. ये बातें रविवार को आइएमए की बैठक में अध्यक्ष डॉ सचिदानंद कुमार ने कहीं. उन्होंने कहा कि सरकार ने सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया है. लेकिन, इस एक्ट में संशोधन कराये बिना हम रजिस्ट्रेशन कराने को तैयार नहीं है. बिहार सरकार ने केंद्र सरकार का क्लीनिकल इस्टीब्लेसमेंट एक्ट को अपनाया है. हमने केंद्र सरकार से बात की है, जिसके बाद एक्ट में संशोधन के लिए एक कमेटी बनायी गयी है, जिसमें भारत सरकार के एडिशनल सेक्रेटरी, आइएमए व एमसीआइ के सदस्य को रखा गया है और उसकी रिपोर्ट 27 दिसंबर तक आयेगी. उस वक्त तक सरकार इस एक्ट को बिहार में लागू नहीं करे. अगर एक्ट को लागू करने की इतनी जल्दबाजी है, तो एक बार चिकित्सक संघ के साथ बैठक कर उनकी परेशानी को भी जान ले. डॉ हरिहर दीक्षित ने कहा कि सभी चिकित्सक संघ यह चाहता है कि यह एक्ट लागू हो. लेकिन, इसके कुछ बिंदुुओं पर संशोधन की जरूरत है. वरना चिकित्सकों को परेशानी होगी. बैठक में डॉ सहजानंद प्रसाद सिहं, डॉ मानवेंद्र कुमार, डॉ शिवेंद्र कुमार, डॉ अशोक कुमार यादव, डॉ अजय कुमार, डॉ वीएस सिंह, डॉ पीएन पाल, डॉ बसंत सिंह आदि मौजूद थे. एक्ट की इन बिंदुओं में चाहते है बदलाव – सिंगल चिकित्सक के क्लिनिक का भी रजिस्ट्रेशन होगा. एक्ट में नहीं करने का प्रावधान है. – ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई भी मरीज किसी भी डॉक्टर के पास पहुंचे और उसका वह इलाज करें. क्योंकि अगर कोई ट्रोमा का मरीज मेडिसिन डॉक्टर के क्लिनिक में आ जाये, तो उसका इलाज करना मुश्किल होगा. – बिहार की जनता और उनकी आर्थिक स्थिति के मुताबिक क्लिनिक का मापदंड बनाये. ऐसा नहीं की दिल्ली व मुंबई की तर्ज पर ही बिहार का क्लिनिक व हॉस्पिटल बने.

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