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गैंगरेप केस में पुलिस बेनकाब, मैनेज में अव्वल, कार्रवाई में फिसड्डी
पटना : गैंगरेप के केस में गांधी मैदान पुलिस बेनकाब हो गयी है. पुलिस की कारस्तानी सबके सामने आ चुकी है. मैनेज में माहिर अब कार्रवाई में पछाड़ खा रहे हैं. घटना के 10 दिन बाद भी पुलिस वहीं खड़ी है, जहां से चली थी. न तो दोबारा बयान कराया गया है और न ही […]
पटना : गैंगरेप के केस में गांधी मैदान पुलिस बेनकाब हो गयी है. पुलिस की कारस्तानी सबके सामने आ चुकी है. मैनेज में माहिर अब कार्रवाई में पछाड़ खा रहे हैं. घटना के 10 दिन बाद भी पुलिस वहीं खड़ी है, जहां से चली थी. न तो दोबारा बयान कराया गया है और न ही केस में तब्दीली की गयी है, जबकि नाबालिग लड़की और उसके घरवाले मीडिया में बयान दे चुके हैं कि गैंगरेप हुआ है. पुलिस ने डरा-धमका कर बयान बदलवा लिया है. सच सामने आने के बाद भी पुलिस कुंडली मारकर बैठ गयी है और पुलिस पदाधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं.
पुलिस का नेटवर्क भी फिसड्डी निकला है. अब तक मुख्य आरोपित का साया भी पुलिस नहीं पा सकी है. 9 नवंबर की रात हुआ था हादसा पटना का कलेक्ट्रेट परिसर 9 नवंबर की रात उस समय शर्मसार हो गया था, जब नाबालिग लड़की को खींचकर चार दरिंदों ने मुंह काला किया था. उसके पिता को पीटा था. गुंडई की सीमा लांघ जाने के बाद भी गांधी मैदान पुलिस ने जो भूमिका निभाई, वह सवालों के घेरे में है. लड़की को तीन दिनों तक बंधक बनाकर थाने में रखना, दबाव देकर बयान बदलवा देना और पांच दिन बाद पिता की पिटायी मामले में एफआइआर दर्ज करना पुलिस की कारस्तानी की पोल खोलता है. बावजूद पुलिस के पदाधिकारी कानून का राज स्थापित करने की बात करते हैं, जो घटना डीएम व एसएसपी के नाक के नीचे हुई उसमें कार्रवाई को लेकर पुलिस के हाथ काले दिख रहे हैं, फिर ग्रामीण इलाके में होने वाली दूसरी घटनाओं में पुलिस का क्या रोल होगा, जाना जा सकता है.
लड़की ने मीडिया में किया था गैंगरेप का खुलासा : गांधी मैदान थाने से जब नाबालिग पीड़िता को छोड़ा गया, तो घटना के तीन दिन बीत चुके थे. पुलिस अपनी मरजी के मुताबिक बयान और केस दोनों करवा चुकी थी. पर जब मीडिया में पीड़िता ने खुलासा किया कि पुलिस ने सोनू के अलावा किसी और आरोपित का नाम लेने पर जेल भेज देने की धमकी दी थी, इस वजह से उसने 164 के बयान में सिर्फ साेनू का नाम लिया, जबकि सोनू और बबलू ने उसके साथ रेप किया और नंदू और नन्हकी ने सहयोग किया है. प्रभात खबर में इस खुलासे के बाद जांच के आदेश दिये गये, सिटी एसपी मध्य चंदन कुशवाहा को लगाया गया है. पर न तो पीड़िता का दोबारा बयान कराया गया है और न ही केस को गैंगरेप में बदला गया है. गिरफ्तारी भी नहीं हो सकी है. पुलिस पूरी तरह से खामोश हो गयी है.
पुलिस का अपराध साबित और कार्रवाई के नाम पर अब भी चुप्पी
पूरे मामले में यह साबित हो गया है कि पुलिस ने अपराध किया है. पुलिस पर एक नहीं कई आरोप हैं, पीड़िता को तीन दिनों तक थाने में रखना, देर से मेडिकल और एफआइआर लेना, देर से कपड़ों को जांच के लिए भेजना पुलिस की कार्रवाई को कठघरे में खड़ा करता है. पर पुलिस पदाधिकारी कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साधे हुए हैं.
आठवें दिन एफएसएल को भेजा कपड़ा
गैंगरेप के इस केस में शुरुआत से ही पुलिस लापरवाह साबित हुई है. जो काम पुलिस को 24 घंटे के अंदर कर लेनी चाहिए थी, वह काम आठ दिन बाद किया गया. गैंगरेप हादसे के के आठ दिन बाद तो पुलिस पीड़िता के कपड़ों को एफएसएल की जांच के लिए भेजी. और यह भी तब किया गया, जब प्रभात खबर ने इस प्रकरण को प्रमुखता से लगातार प्रकाशित किया.
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