हम भी बदल सकते हैं अपना झारखंडझारखंड गठन के 15 साल पूरे हो गये हैं. इन 15 वर्षों में यूं तो कई काम हुए हैं, लेकिन कई ऐसे काम अधूरे पड़े हैं, जिन्हें अब तक हो जाना चाहिए था. ये ऐसे काम हैं, जिन्हें बहुत ही बेहतरीन ढंग से हमारे से देश के अन्य राज्यों ने कर दिखाया है. उनका सक्सेस मॉडल हमारे सामने है. उनसे सीख लेकर हम आगे बढ़ सकते हैं. जरूरत है, तो सिर्फ ईमानदार कोशिश और इच्छा शक्ति की. राज्य गठन के 15 वर्षों में उद्योग लगाने के लिए एमओयू तो खूब हुए, लेकिन उद्योग लगे नहीं, क्योंकि इन बड़े उद्योगों के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी. खदानों की जरूरत पड़ेगी. लोग जमीन देने का विरोध कर रहे हैं. ऐसे में बेहतर होता कि हम लघु उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करते. पंजाब जैसे राज्यों ने इस पर बढ़िया काम किया है. झारखंड हर दूसरे या तीसरे साल सूखे की चपेट में आ जाता है. इसके बावजूद हम खेतों तक पानी पहुंचाने का काम इन 15 वर्षों में भी नहीं कर सके, जबकि राजस्थान जैसे राज्य जहां चारों ओर रेगिस्तान ही रेगिस्तान है, वहां भी लोगों ने जल संचय कर सूखी नदियों में जल प्रवाहित करा दिया. गुजरात में छोटे-छोटे चेक डैमों की श्रृंखला बनाकर खेतों तक पानी पहुंचाया जा रहा है, पर झारखंड बड़ी परियोजनाओं में फंसा हुआ है. दुग्ध उत्पादन में गुजरात जैसे राज्यों ने मिसाल कायम कर दी है, लेकिन हम अपनी जरूरतें पूरी करने भर दूध भी उत्पादित नहीं कर पा रहे. शिक्षा का स्तर हमारे राज्य में उठ नहीं रहा है. साइंस में हमारे छात्र लगातार पिछड़ रहे हैं, जबकि इस मामले में अन्य राज्यों ने बेहतरीन मॉडल पेश किया है. ऐसे ही पर्यटन, खनन, कला-संस्कृति के संरक्षण, खेलों के विकास, टाउन प्लानिंग और आवास मुहैया कराने के क्षेत्र में झारखंड पिछड़ता जा रहा है, जबकि हमारे ही देश के अन्य राज्य इसमें काफी आगे निकल चुके हैं. अब जबकि हम राज्य का स्थापना दिवस मना रहे हैं, हमे इन बातों पर गौर करना होगा. अपनी कमियां खोजनी होगी और दूसरे राज्यों के आगे बढ़ने की वजहों की पड़ताल करनी होगी. इसके बाद अपने राज्य को भी बदलने की ईमानदार कोशिश करनी होगी. इसी विषय पर केंद्रित है हमारा यह स्थापना दिवस परिशिष्ट.
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हम भी बदल सकते हैं अपना झारखंड
हम भी बदल सकते हैं अपना झारखंडझारखंड गठन के 15 साल पूरे हो गये हैं. इन 15 वर्षों में यूं तो कई काम हुए हैं, लेकिन कई ऐसे काम अधूरे पड़े हैं, जिन्हें अब तक हो जाना चाहिए था. ये ऐसे काम हैं, जिन्हें बहुत ही बेहतरीन ढंग से हमारे से देश के अन्य राज्यों […]
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