पीजी में ग्रेडिंग सिस्टम लागू करने में भी हैं कई पेच – पीयू में पीजी विभागों को ग्रेडिंग के साथ ही क्रेडिट सिस्टम को भी करना है फॉलो – ग्रेडिंग व क्रेडिट काउंट करने वाला सॉफ्टवेयर भी विवि के पास नहीं अमित कुमार, पटना पटना विश्वविद्यालय में पीजी के नये यूनिफॉर्म रेगुलेशन व ऑर्डिनेंस के तहत क्रेडिट और ग्रेडिंग सिस्टम को ही विवि को फॉलो करना है. यह इसी सत्र से फॉलो करना था लेकिन इसमें कई तरह के पेच हैं जिससे लगता है कि यह विवि में अगले सत्र से भी लागू हो जाये तो गनीमत ही है. एक तो इस सिस्टम की जानकारी विवि में बहुत कम ही शिक्षकों को है. दूसरा इस सिस्टम को फॉलो करने के लिए एक अलग तरह का सॉफ्टवेयर ‘एवार्ड सिस्टम’ का प्रयोग किया जाता है जो विवि के पास नहीं हैं. इसके अतिरिक्त इसके लिए अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन पावर की भी जरूरत है लेकिन विवि में शिक्षकों और कर्मचारियों दोनों की घोर कमी है. पटना विश्वविद्यालय में पीजी का सेमेस्टर सिस्टम और सीआईए (कंटीन्यूअस इंर्टनल असेसमेंट) को ही लागू करने में पसीने छूट गये थे. सेमेस्टर सिस्टम को पहली बार फॉलो करने में ही विवि का दम फूल गया गया था. वहीं जो तकनीकी दिक्कतें आईं वह अलग. यही वजह थी कि सेमेस्टर लागू करने के बाद करीब दो-तीन वर्षों तक स्थिति यह थी कि सत्र देर चलता था. दो वर्ष के बजाए छात्र तीन वर्ष में डीग्री पूरी कर पा रहे थे. इसी प्रकार सीआईए को लागू करने में भी विवि के पसीने छूटे. सीआईए में तो अभी तक स्थिति यह कि ज्यादातर विभागों में इसकी खानापूर्ति के अलावा कुछ भी नहीं होता है. इंटर्नल परीक्षाएं भी सिर्फ नाम के लिए ही होती हैं. सेमिनार भी हर छात्र अटेंड नहीं करता. अटेंडेंस का क्या हाल पटना यूनिवर्सिटी में है किसी से छुपा नहीं है बावजूद इसके वहां छात्रों को अंक आसानी से मिल जाते हैं. जानकार बताते हैं कि क्रेडिट सिस्टम को लागू करना विवि के लिए आसान नहीं होगा और इसके लिए काफी मंथन व मशक्कत करने की आवश्यकता है. क्योंकि एक शिक्षक के लिए अंक देना व उसके अनुरूप ग्रेडिंग दे देना तो आसान है लेकिन उसका कैलकुलेशन उनके लिए भी संभव नहीं है. इसके अतिरिक्त हर छात्र को उसकी हर एक्टीविटी व उसमें बिताये गये समय के अनुसार क्रेडिट देना भी काफी टेढ़ी खीर है. जानकार यह भी बताते हैं कि चाहे जितनी भी दिक्कतें हों विवि को जितनी जल्दी हो सके इस सिस्टम को लागू करना ही होगा. अगर विवि इस सिस्टम को लागू नहीं करता है तो दूसरे विवि के मुकाबले यहां के छात्र पिछड़ जायेंगे. उन्हें आगे एडमिशन और नौकरियों में भी दिक्कतें आ सकती हैं. क्योंकि एक तरफ दूसरे विवि के छात्र क्रेडिट सिस्टम को फॉलो कर रहे होंगे और हम अंक वाले सिस्टम को फाॅलो कर रहे होंगे तो वेटेज क्रेडिट व ग्रेडिंग वालों को अधिक मिलेगा. उसे ही सबसे अपडेटेड माना जायेगा. प्रो. शिवजतन ठाकुर (विभागाध्यक्ष, स्नातकोत्तर, अंग्रेजी विभाग, पीयू) : पीयू में ग्रेडिंग सिस्टम लागू करना इतना आसान नहीं है. इसके लिए शिक्षकों को पहले पहल प्रशिक्षित करना होगा. इसकी पूरी जिम्मेवारी विवि की है. वहीं इसके लिए पर्याप्त संसाधन व मैनपॉवर की भी जरूरत पड़ेगी. खासकर विवि के एक खास तरह का सॉफ्टवेयर एवार्ड शीट को फॉलो करना होगा और उसके लिए भी अपने लोगों को प्रशिक्षित करना होगा. प्रो यूके सिन्हा (कंवेनर, सीबीसीएस सिस्टम कमेटी, पीयू) : हम सीबीसीएस सिस्टम पर अभी काम कर रहे हैं. इस पर मंथन जारी है लेकिन राजभवन ने जो पीजी में क्रेडिट व ग्रेडिंग सिस्टम लागू करने के संबंध में आदेश दिये है वह सीबीसीएस से मिलता जुलता है लेकिन वह अलग प्रक्रिया है. क्रेडिट व ग्रेडिंग सिस्टम लागू करने में विवि को कोई खास दिक्कत नहीं होगी. इसके लिए जो सॉफ्टवेयर चाहिए वह तब खरीद लिया जायेगा जब विवि इसे लागू करने का आदेश जारी करेगा. अभी यह सभी विभागों को रिव्यु के लिए दिया गया है ताकि वे इस समझ लें. जरूरत पड़ेगी तो प्रशिक्षण भी शिक्षकों को एक्सपर्ट के माध्यम से दे दिया जायेगा.
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पीजी में ग्रेडिंग सस्टिम लागू करने में भी हैं कई पेच
पीजी में ग्रेडिंग सिस्टम लागू करने में भी हैं कई पेच – पीयू में पीजी विभागों को ग्रेडिंग के साथ ही क्रेडिट सिस्टम को भी करना है फॉलो – ग्रेडिंग व क्रेडिट काउंट करने वाला सॉफ्टवेयर भी विवि के पास नहीं अमित कुमार, पटना पटना विश्वविद्यालय में पीजी के नये यूनिफॉर्म रेगुलेशन व ऑर्डिनेंस के […]
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