पटना जंकशन पर नहीं है कोई देखनेवाला
पटना : चिप्स के पैकेट का दाम है 10 रुपये, लेकिन पटना जंकशन पर 20 रुपये का मिलता है. मजबूर यात्री महंगे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं. जंकशन की शिकायत पुस्तिका में कुछ ऐसी ही शिकायतें लिखी गयी हैं. ये शिकायत त्योहार के दिनों में अधिक आ रही हैं. दरअसल जंकशन पर स्टाल वेंडर खाद्य पदार्थों की मनमर्जी के दाम वसूल रहे हैं.
कुछ स्टाॅलों पर एमआरपी रेट लिस्ट है, तो लेकिन वेंडर ओवर चार्जिंग करते हैं. यात्री इसका विरोध करता है, तो सभी मिल कर उसे घेर लेते हैं. यात्री झंझट में फंसने के बजाय या तो वस्तु खरीदते ही नहीं या फिर मुंहमांगे दाम चुकाते हैं. मजे की बात तो यह है कि इन सबकी जानकारी जिम्मेवार अधिकारियों को है, लेकिन वे कार्रवाई के नाम पर सिर्फ तमाशा देखते हैं.
गायब हैं टॉल फ्री नंबर
पटना जंकशन के एक और 10 नंबर प्लेटफॉर्म को छोड़ दें तो बाकी के सभी प्लेटफॉर्म तय रेट से अधिक दाम वसूले जा रहे हैं. खास बात तो यह है कि इन प्लेटफॉर्मों पर टॉल फ्री नंबर गायब है.
हालांकि रेलवे ने यात्रियों की सुविधा को देखते हुए टॉल फ्री नंबर चस्पा किया था, लेकिन इन दिनों यह टॉल फ्री नंबर नहीं दिखाई दे रहे हैं. फूड स्टाॅल संचालकों ने नंबर के ऊपर किसी कंपनी का विज्ञापन या फिर सादा कागज चस्पा कर दिये हैं. ऐसे में अगर किसी यात्री को शिकायत करनी रहती है, तो उसे इधर-उधर भटकना पड़ता है.
स्टाॅलों की बल्ले-बल्ले
त्योहारी सीजन में फूड स्टाॅलों की बल्ले-बल्ले है. दीपावली व छठ में यात्रियों की भीड़ का फायदा उठाने के लिए फूड स्टाॅल वेंडरों ने पहले से ही तैयारी कर ली है. अधिकांश स्टाॅलों पर रेट लिस्ट को अपडेट नहीं किया गया है.
ऐसे में उन वस्तुओं का जिनकी रेट कम हुई है, उस पर भी वेंडर अधिक दाम वसूल रहे हैं. रेलवे सूत्रों की मानें तो त्योहार में यात्रियों की भीड़ को देखते हुए रेट लिस्ट को अपडेट नहीं किया गया है.
क्या है रेलवे का नियम
आइआरसीटीसी के नियमों के मुताबिक वेंडर एमआरपी के अधिक पैसे वसूल नहीं कर सकता. स्टाल व वेंडरों के लिए जितनी रेट निधारित की गयी है, कोई भी उससे अधिक पैसे नहीं ले सकता है. इसके अलावा हर स्टाॅल पर रेलवे का टॉल फ्री नंबर लिखा होना चाहिए.
मैदान के नाम पर छत है न
अनिसाबाद में चल रहे हैं सीबीएसइ के नाम पर स्कूल, ग्राडंड फ्लोर पर फ्लैट, तो ऊपर होती है पढ़ाई
पटना : बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर में लोग रहते हैं. रेजिडेंशियल है. वहीं ऊपर के दो मंजिलों में स्कूल चल रहा है. अनिसाबाद में हर गली-मुहल्ले में रेजिडेंशियल बिल्डिंग में ही स्कूल खोल दिये गये हैं.
न तो स्कूल में प्राॅपर क्लास रूम है और न ही कैंपस के नाम पर कुछ है. मेन गेट के नाम पर छोटा-सा रास्ता है. यहां पर न तो सुरक्षा गार्ड है और न ही स्कूल में आने-जाने वालों के लिए रोक-टोक. प्रभात खबर के ऑनस्पॉट स्कूल पड़ताल के तहत अनिसाबाद एरिया में ऐसे कई स्कूल सामने आए हैं, जो बस दो या तीन कमरों में चल रहे हैं. सड़क से ही स्कूल शुरू होता है और वहां मैदान के नाम पर स्कूल की छत है.
कभी हो सकता है हादसा
अनिसाबाद एरिया में कई स्कूल मुहल्ले के चौराहे पर ही खुले हुए हैं. पड़ताल के दौरान राइजिंग सन एकेडमी में पाया गया कि स्कूल का मेन गेट सड़क पर से ही शुरू हो रहा है. 10वीं तक चल रहे इस स्कूल के चारों ओर बिजली का तार पसरा हुआ है. कभी भी कोई हादसा भी हो सकता है. स्कूल बिल्डिंग के बाहर ट्रांसफॉर्मर भी लगा हुआ है. इसके अलावा स्कूल के क्लास रूम में भी पर्याप्त रोशनी नहीं है. इस तरह के ही ज्यादातर स्कूल इस एरिया में नजर आये.
स्कूल कैंपस में ही कोचिंग
मुहल्ले के अंदर में एक स्कूल नेशनल मिशन के नाम से है. इस स्कूल की बिल्डिंग भी सड़क के किनारे ही है. स्कूल के अंदर जाने का रास्ता का संकरा है. दो मंजिल की इस बिल्डिंग में स्कूल के अलावा कई कोचिंग संस्थान भी चलते हैं. सीबीएसइ के नाम का इस्तेमाल कर रहे इस स्कूल में स्टूडेंट के लिए हॉस्टल की भी व्यवस्था हैं. स्कूल की बिल्डिंग में ही कोचिंग संस्थान चल रहा है, जहां बीएड और एमएड की तैयारी करायी जाती है.
न लैब, न ही लाइब्रेरी
सीबीएसइ के नाम का इस्तेमाल तो ये स्कूल कर रहे हैं, लेकिन सीबीएसइ के मानक को पूरा नहीं कर रहे हैं. इन स्कूलों में न तो लैब है और न ही लाइब्रेरी. स्कूल में आउट डोर गेम के नाम पर कुछ भी नहीं है. मुहल्ले में चल रहे इन स्कूलों पर मुहल्ले वाले आये दिन डिस्टर्ब करने का आरोप भी लगाते हैं. छुट्टी के समय बच्चों से मुहल्लेवालों को काफी परेशानी होती है.
सीबीएसइ के नाम का कर रहे इस्तेमाल
– ऑपिटम स्कूल ऑफ एजुकेशन
– नेशनल मिशन स्कूल
– राइजिंग सन एकेडमी
– स्पिंगलेट पब्लिक हाइस्कूल
– एस रजा हाइस्कूल
– ऑरचीड हाइस्कूल