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जदयू ने भाजपा से पूछे पांच सवाल
प्रधानमंत्री ने औघड़ व नीतीश कुमार के डेढ़ साल पुराने वीडियो को उठाया. उन्होंने तांत्रिक को महागंठबंधन का चौथा दल भी घोषित कर दिया. वे ही बतायें कि वे आसाराम बापू की गोद में क्या कर रहे थे? बेजान दारूवाला से अपना हाथ दिखा कर किसका भविष्य जान रहे थे? पीएम को पहले अपने गिरेबां […]
प्रधानमंत्री ने औघड़ व नीतीश कुमार के डेढ़ साल पुराने वीडियो को उठाया. उन्होंने तांत्रिक को महागंठबंधन का चौथा दल भी घोषित कर दिया. वे ही बतायें कि वे आसाराम बापू की गोद में क्या कर रहे थे? बेजान दारूवाला से अपना हाथ दिखा कर किसका भविष्य जान रहे थे? पीएम को पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिए. यह कैसे मुद्दा बना? क्यों बना? इसे मुद्दा बनाने की क्या जरूरत थी? स्पष्ट करें.
प्रधानमंत्री नेता भी हैं और अभिनेता भी. मीसा भारती के लिए उन्होंने जिस प्रकार सेट कराने व बेचारी कहा वह अशोभनीय है. क्या प्रधानमंत्री बिहार की महिलाओं को अपमान कर अपनी गरिमा भूल गये हैं?
प्रधानमंत्री ने जाति कार्ड कई बार खेला. पहले वे पिछड़ा वर्ग से थे, बाद में अतिपिछड़ा वर्ग से हो गये. जबकि गुजरात में अतिपिछड़ा कोटि है ही नहीं. अगर कहीं और चुनाव होगा तो वहां कहेंगे कि वे दलित हैं. देश में नरेंद्र मोदी को छोड़ किसी पीएम ने जातिगत कार्ड नहीं खेला.
भाजपा बार-बार जंगलराज की बात करती है. दिल्ली में कानून व्यवस्था तार-तार है, जो केंद्र सरकार के जिम्मे है. व्यापमं में 50 हत्याएं हो चुकी हैं, फिर भी एमपी की सरकार को क्लीन चिट मिल गयी है. राजस्थान में सर्टिफिकेट के आधार पर चुनाव लड़ना तय किया गया, गुजरात में स्थानीय निकाय का चुनाव स्थगित किया गया. एेसे में वहां कौन-सा मंगलराज है?
बिहार चुनाव में भाजपा को कोई बिहारी चेहरा नहीं मिला. यह कैसा संघवाद है? कोई विकल्प नहीं है. बिहार ने अपना मुखिया, प्राथमिकता पहले ही तय कर लिया है. केंद्र सरकार जो देश के चरित्र में नहीं है उसे थोप रही है.
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