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हम किसी पार्टी को नहीं देंगे समर्थन

जन अधिकार पार्टी (लो) के प्रमुख और सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि शिक्षा, रोजगार और भूमि सुधार उनकी पार्टी की प्राथमिकता है. चुनाव के बाद भी वह किसी दल को समर्थन नहीं देंगे. उनसे बातचीत की शशिभूषण कुंअर ने बिहार में बदलाव क्यों जरूरी अब बिहार में बदलाव आवश्यक हो गया […]

जन अधिकार पार्टी (लो) के प्रमुख और सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि शिक्षा, रोजगार और भूमि सुधार उनकी पार्टी की प्राथमिकता है. चुनाव के बाद भी वह किसी दल को समर्थन नहीं देंगे. उनसे बातचीत की शशिभूषण कुंअर ने

बिहार में बदलाव क्यों जरूरी

अब बिहार में बदलाव आवश्यक हो गया है. गरीबी, भ्रष्टाचार, महिलाओं पर अत्याचार बढ़ गया है. स्वास्थ्य व शिक्षा में सबसे अधिक गिरावट आ गयी है. आम लोगों को रोटी, कपड़ा, मकान, दवाई और पढ़ाई जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. आम आदमी के लिए काम करने की जगह नेताओं ने बेहतर तरकीब निकाल ली है. थोड़ा-सा खैरात बांट दो. चाहे वह मीड डे मिल हो, साइकिल, पोशाक या आंगनबाड़ी के माध्यम से दिया जानेवाला दो किलोग्राम अनाज हो. जब राज्य में इस तरह की परिस्थिति पैदा हो गयी हो तो क्या यह अवसर नहीं है कि बिहार के नेतृत्व में आमूल बदलाव होना चाहिए. अभी तक ताकतवर व दौलतमंदों के लिए सरकार काम करती रही है.

विकास के लिए फॉर्मूला

बिहार को नेपोलियन जैसा नेता चाहिए, जो यहां के लोगों के सहयोग से प्रदेश का विकास करे. उनके सामने हमारी पार्टी ने छात्र-युवाओं का अधिकार, उत्तम शिक्षा और रोजगार का लक्ष्य रखा है. लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए एक महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की जायेगी. किसान भाइयों के लिए लैंड रिकार्ड को डिजिटलाइज कर ऑनलाइन किया जायेगा. डी बंद्योपाध्याय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर भूमि सुधार और बटाईदारी कानून को लागू किया जायेगा. आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छह सूत्री विकास के फॉमरूला की बात कर रहे हैं. यदि उनके पास फॉर्मूला था तो दिल्ली में ऐसी स्थिति होती क्या? अन्य राज्यों की भी स्थिति क्या है?

तीसरा मोरचा की स्थिति

एनडीए और महागंठबंधन के लोग झूठ बोलकर जनता को गुमराह कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झूठ को ताकत के साथ बोलते हैं, जो सच लगने लगता है. तीनों गंठबंधन में मुकाबला है. सच यह है कि इस चुनाव में जाति व शराब हावी हो गया है. जन अधिकार पार्टी (लो) जनता के साथ विकास की बात कर रही है. उसी के आधार पर जनता का सहयोग लिया जा रहा है.

आरक्षण पर स्टैंड क्या है

आरक्षण की बात हो रही है. पर आरक्षण का लाभ किसको मिलेगा? यहां न शिक्षा है, न शिक्षक हैं. दलित व पिछड़ी जाति की लड़कियों की संख्या स्कूल में एक फीसदी से भी कम है. शिक्षा की दुहाई देने वाले क्या बता सकते हैं कि बिहार में अभी

तक किसी मुसहर जाति की पांच लड़की ने इंटर की परीक्षा पास की है. जिस राज्य में शिक्षा का स्तर ही

नहीं उठा है, वहां सिर्फ आरक्षण कहने से नहीं उसके लिए काम

करने से होगा.

बिहारी बनाम बाहरी

जो लोग बिहारी और बाहरी की बात करते हैं, उनको बताना चाहिए कि जॉर्ज फर्नांडिस, मधु लिमये और शरद यादव क्या हैं? जब महाराष्ट्र जाते हैं तो कहते हैं कि संघीय ढांचा पर आघात होता है. यहां पर ऐसी बात क्यों?

तीसरा मोरचा का स्वरूप

एनसीपी महाराष्ट्र में कहती है कि भाजपा का साथ देंगे. यहां पर विरोध का क्या मतलब. रही बात नागमणि जी का, तो चुनाव के बीच अलग होने से क्या होगा.

बीजेपी के स्पांसरशिप पर चुनाव लड़ने का आरोप

यह बात तो लालू प्रसाद को अपने समधी मुलायम सिंह यादव से पूछना चाहिए कि वह (सपा) बिहार में किसके स्पांसरशिप में चुनाव लड़ रहे हैं. एनसीपी किसके स्पांसरशिप में चनाव लड़ रही है? यह भी पूछा जाना चाहिए.

चुनाव के बाद रणनीति

जन अधिकार पार्टी किसी भी दल को समर्थन नहीं देगी. अपनी नीति व सिद्धांत के आधार पर हम समर्थन लेकर सरकार बनायेंगे.

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