फरवरी में होगा साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय 37वां महाधिवेशन- सम्मेलन के 96वां स्थापना दिवस समारोह में अध्यक्ष ने की घोषणा- 66पूर्ति पर साहित्यकार डॉ भगवान सिंह भास्कर का हुआ अभिनंदन और पुस्तक-लोकार्पण पटना. बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय 37वां महाधिवेशन अगले वर्ष 6-7 फरवरी को सम्मेलन सभागार में आयोजित होगा, जिसमें देश के बड़े विद्वानों को आमंत्रित किया जायेगा तथा प्रदेश के दो दर्जन से अधिक साहित्य-सेवियों को, विभिन्न सम्मानों से अलंकृत किया जायेगा. यह घोषणा सोमवार को सम्मेलन-सभागार में आयोजित, सम्मेलन के 96वां स्थापना-दिवस पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने की. डॉ सुलभ ने कहा कि बिहार में हो रहे आम चुनाव, दुर्गा पूजा तथा सम्मेलन-भवन के जिर्णोद्धार तथा रंग-रोगन के चल रहे कार्यों के कारण, सम्मेलन का यह स्थापना-दिवस समरोह सादे ढंग से संपन्न हो रहा है, लेकिन आगे से यह उत्सव भी भव्य रूप में प्रत्येक वर्ष हुआ करेंगे.डॉ सुलभ ने कहा कि आगामी महाधिवेशन के संबंध में रविवार शाम संपन्न हुई कार्यसमिति की बैठक में निर्णय लिया गया है और तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं. अधिवेशन में प्रतिनिधियों के नाम प्रेषित करने के लिए सभी जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन को भी सूचना भेजी जा रही है. प्रत्येक जिला से अधिकतम 11 प्रतिनिधि अधिवेशन में भाग ले सकेंगे।. इनके अतिरिक्त सम्मेलन से संबंद्ध अन्य संस्थाओं के तीन प्रतिनिधियों को भाग लेने का अवसर मिल सकेगा. यह सुनिश्चित किया जायेगा कि प्र्त्येक जिला से कम-से-कम एक साहित्य-सेवी को अवश्य ही सम्मानित किया जाये. आयोजन समिति तथा अन्य समितियों की घोषणा भी शीघ्र की जायेगी.इस अवसर पर सोमवार को ही अपना 66वां साल पूरा करने वाले साहित्यकार डॉ भगवान सिंह भास्कर का अभिनंदन किया गया. समारोह में डॉ भास्कर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केन्द्रित ग्रंथ ‘विद्यावारिधि भास्कर’ एवं उनके द्वारा संपादित त्रैमासिक पत्रिका ‘उड़ान’ के नये अंक का तथा कवि रघुवंश प्रसाद वर्मा के ‘खट्टे-मीठे दोहे’ का लोकार्पण भी किया गया. अतिथियों का स्वागत करते हुए सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेन्द्र नाथ गुप्त ने कहा कि साहित्य सम्मेलन की स्थापना जिन उद्देश्यों को लेकर आज से 97 वर्ष पूर्व हुई थी, वे सभी उद्देश्य आज भी शेष हैं. साहित्य सम्मेलन अपने उद्देश्यों और प्रतिष्ठा को पुनः अर्जित करने में सफल होगा. समारोह के उद्घाटन-कर्ता और पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेन्द्र प्रसाद ने सम्मेलन के प्रति शुभकामनाएं देते हुए कहा कि साहित्य और हिंदी के प्रति सर्व-सामान्य की रूचि बढ़ाने का एक बड़ा दायित्व साहित्य सम्मेलन पर है. पूर्व में साहित्य के प्रति जो आग्रह समाज में था, उसमें चिंताजनक कमी आयी है. मनुष्य को ‘मनुष्य’ बनाने तथा समाज को राह दिखाने वाले साहित्य को समाज के आगे रहना चाहिए. सम्मेलन के उपाध्यक्ष पं शिवदत्त मिश्र, विपिन विहारी वर्मा, डॉ नरेश पाण्डेय चकोर, राज कुमार प्रेमी, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, डॉ विनय कुमार विष्णुपुरी, डॉ शंकरशरण मधुकर, चंद्रदीप प्रसाद, कृष्ण कन्हैया, राज कुमार प्रेमी, मोहन दूबे, प्रो सुखित वर्मा, डॉ कुमार उत्पल, मोहन गोवर्धनपुरी, प्रवीर कुमार पंकज, श्याम बिहारी प्रभाकर, डॉ योगेन्द्र योगी, पंकज सत्यम, विष्णु प्रभाकर, चन्द्र प्रताप सिंह, वीरेन्द्र प्रसाद तथा डॉ ओम प्रकाश पाण्डेय ‘प्रकाश’ ने भी अपने विचार व्यक्त किये तथा डॉ भास्कर के प्रति अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की. मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रबंधमंत्री कृष्णरंजन सिंह ने किया.
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फरवरी में होगा साहत्यि सम्मेलन का दो दिवसीय 37वां महाधिवेशन
फरवरी में होगा साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय 37वां महाधिवेशन- सम्मेलन के 96वां स्थापना दिवस समारोह में अध्यक्ष ने की घोषणा- 66पूर्ति पर साहित्यकार डॉ भगवान सिंह भास्कर का हुआ अभिनंदन और पुस्तक-लोकार्पण पटना. बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय 37वां महाधिवेशन अगले वर्ष 6-7 फरवरी को सम्मेलन सभागार में आयोजित होगा, जिसमें देश […]
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