पटना: राजधानी की सड़कों पर रोजाना दो सौ सिटी बसें विभिन्न मार्गो पर दौड़ती है, जिनमें 30 से 35 प्रतिशत अनफिट हैं. साथ ही अधिकतर सिटी बसों में न खिड़की के शीशे हैं और न ही सवारियों को बैठने के लिए बेहतर सीट.
बसों की बॉडी भी टूटी-फटी है, जो झर-झर की आवाज देती है. सुबह से देर रात तक ये बसें पटना की सड़कों पर दौड़ती हैं, इसके बावजूद जिला प्रशासन की नजर कभी इन पर नहीं पड़ती. हालांकि, जिला प्रशासन ने सिटी बसों के लिए गाइडलाइन जारी की है, जिसके अनुरूप वाहनों का परिचालन करना है. लेकिन, सिटी बस चालक प्रशासन के किसी गाइडलाइन का पालन नहीं करते.
पुराने वाहन कब बंद होंगे
दो माह पूर्व परिवहन विभाग ने निर्देश जारी किया था कि राजधानी की सड़कों पर 15 साल पुराने डीजल इंजन के व्यावसायिक वाहन नहीं चलेंगे. इसे लेकर सभी वाहन मालिकों को नोटिस देकर तीन माह का समय दिया गया, ताकि वे खुद पुराने वाहनों को शहर से बाहर कर लें. जिला परिवहन कार्यालय विभाग के निर्देश का इंतजार कर रहा है, ताकि शहर में चलनेवाले पुराने वाहनों पर कार्रवाई की जा सके. परिवहन कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि राजधानी की सड़कों पर चलनेवाली 90 प्रतिशत वाहनों की आयु समय सीमा पार कर चुकी है, जिससे विभागीय निर्देश के अनुसार बाहर किया जायेगा.
आम लोग भी हो रहे परेशान
राजधानी में सिटी बसों के लिए अशोक राजपथ, बोरिंग रोड, फ्रेजर आदि सड़कों पर बस स्टॉप बनाये गये, जहां सवारियों को उतारना व चढ़ाना है. लेकिन, सिटी बस चालक इसका भी पालन नहीं करते. जहां मन किया, वहीं बस खड़ी कर सवारी बैठाने लगते हैं. करबिगहिया, स्टेशन रोड, स्टेशन गोलंबर, अशोक राजपथ, आर ब्लॉक चौराहा, बेली रोड आदि सड़कों पर इन्हीं सिटी बसों की वजह से कई बार जाम की समस्या उत्पन्न होती है.