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स्मार्ट मूव : नेटवर्क टूटेगा, तो भी काम करेगा इंटरनेट

पटना : विधानसभा चुनाव के दौरान सभी स्थानों पर तुरंत और बिना बाधा के संचार व्यवस्था बनाये रखना सबसे बड़ी चुनौती और जरूरत है. इसके मद्देनजर पुलिस महकमे ने इस बार चुनाव के दौरान तीन स्तरीय संचार व्यवस्था स्थापित करने की रणनीति तैयार की है, ताकि किसी भी स्थिति या विषम परिस्थिति में सुरक्षा बलों […]

पटना : विधानसभा चुनाव के दौरान सभी स्थानों पर तुरंत और बिना बाधा के संचार व्यवस्था बनाये रखना सबसे बड़ी चुनौती और जरूरत है. इसके मद्देनजर पुलिस महकमे ने इस बार चुनाव के दौरान तीन स्तरीय संचार व्यवस्था स्थापित करने की रणनीति तैयार की है, ताकि किसी भी स्थिति या विषम परिस्थिति में सुरक्षा बलों के साथ संचार या कॉम्यूनिकेशन कायम रखा जा सके.

इसके लिए स्मार्टफोन, सैटेलाइट फोन और वायरलेस सेटों की बड़े स्तर पर मदद ली जा रही है. केंद्रीय फोर्स को आपस में बातचीत करने और कंट्रोल रूम के संपर्क में हमेशा बने रहने के लिए वॉकी-टॉकी से लैस किया गया है. दुर्गम और नक्सली प्रभावित क्षेत्रों में खासतौर से इस तीन स्तर के संचार व्यवस्था को लागू किया जायेगा. इन क्षेत्रों में सुरक्षा बनाये रखने और मदद पहुंचाने के लिए यह पहल बेहद प्रभावित साबित होंगे.

किसी भी आपात स्थिति में बेहतर संचार व्यवस्था की बदौलत ही तत्क्षण सहायता पहुंचायी जा सकती है. नक्सली वारदातों या किसी बड़े हमले में अक्सर यह देखा जात है कि सुरक्षा बलों पर हमला करने से पहले उस क्षेत्र के मोबाइल टाॅवरों को ध्वस्त कर दिया जाता है. चुनाव के दौरान नक्सल क्षेत्रों में मोबाइल टाॅवरों को बड़े स्तर पर ध्वस्त करने की घटनाएं होती हैं. संचार व्यवस्था ठप करके सुरक्षा बलों को ट्रैप करके या गोरिल्ला हमला करने में आसानी होती है. इससे आपात स्थिति में वे मदद मांगने के काबिल नहीं होते हैं. इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए इस बार चुनाव में तीन स्तरीय संचार व्यवस्था स्थापित की गयी है.

1531 स्मार्ट फोन

इन स्मार्टफोनों में एक खास तरह का एप इंस्टाल रहेगा. इसकी मदद से मोबाइल नेटवर्क नहीं रहने पर भी इंटरनेट काम करेगा. इससे किसी आपात स्थिति की सूचना तुरंत कंट्रोल रूम तक पहुंचायी जा सकती है. इंटरनेट पर मैसेज या मैप की बदौलत रूट भी जाना जा सकता है.

80 सैटेलाइट फोन

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 80 सैटेलाइट फोन मुहैया करा रहा है. खासतौर से चुनावी कार्य में इसका उपयोग किया जायेगा. नक्सली और दूरस्थ इलाकों में इसका प्रयोग बखूबी किया जायेगा. सैटेलाइट से सीधे जुड़े होने के कारण यह किसी भी मौसम या परिस्थिति में आराम से काम करते हैं. इनका पॉवर बैक-अप भी काफी बेहतर होने के कारण यह लंबे समय तक चलते भी हैं. नक्सल क्षेत्रों में हर ग्रुप के पास एक-एक यह फोन दिया जायेगा.

वायरलेस सेट

इस बार सुरक्षा की दृष्टिकोण से कम फ्रीक्वेंसी (आवृत्ति) वाले वायरलेस सेट का उपयोग किया जा रहा है. ज्यादा फ्रीक्वेंसी के वायरलेस सेट पर बातचीत करने पर इसे एफएम की मदद से इसे आसपास के क्षेत्रों से कैच भी किया जा सकता है. इससे नक्सली या अपराधी सुरक्षा बलों की बातचीत सुन भी सकते हैं. इस बार पांच किलोमीटर के दायरे में ही काम करने वाले वायरलेस सेट उपयोग किये जायेंगे, जिससे तमाम बातचीत गोपनीय रहे. प्रत्येक पांच-पांच किमी पर संबंधित क्षेत्र में जरूरत के मुताबिक इसके कंट्रोल यूनिट लगाये जायेंगे, ताकि संचार व्यवस्था हमेशा बनी रहे.

80 सैटेलाइट फोन

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 80 सैटेलाइट फोन मुहैया करा रहा है. नक्सली और दूरस्थ इलाकों में इसका प्रयोग किया जायेगा. सैटेलाइट से सीधे जुड़े होने के कारण ये किसी भी मौसम या परिस्थिति में काम करते हैं. नक्सल क्षेत्रों में हर ग्रुप के पास एक-एक यह फोन दिया जायेगा.

वायरलेस सेट

इस बार सुरक्षा की दृष्टिकोण से कम फ्रीक्वेंसी (आवृत्ति) वाले वायरलेस सेट का उपयोग किया जा रहा है. ज्यादा फ्रीक्वेंसी के वायरलेस सेट पर बातचीत करने पर इसे एफएम की मदद से इसे आसपास के क्षेत्रों से कैच भी किया जा सकता है. इससे नक्सली या अपराधी सुरक्षा बलों की बातचीत सुन भी सकते हैं.

इस बार पांच किलोमीटर के दायरे में ही काम करने वाले वायरलेस सेट उपयोग किये जायेंगे, जिससे तमाम बातचीत गोपनीय रहे. प्रत्येक पांच-पांच किमी पर संबंधित क्षेत्र में जरूरत के मुताबिक इसके कंट्रोल यूनिट लगाये जायेंगे, ताकि संचार व्यवस्था हमेशा बनी रहे.

वायरलेस सेट

इस बार पांच किलोमीटर के दायरे में ही काम करने वाले वायरलेस सेट उपयोग किये जायेंगे, जिससे तमाम बातचीत गोपनीय रहे. प्रत्येक पांच-पांच किमी पर संबंधित क्षेत्र में जरूरत के मुताबिक इसके कंट्रोल यूनिट लगाये जायेंगे, ताकि संचार व्यवस्था हमेशा बनी रहे.

इस बार से कम फ्रीक्वेंसी (आवृत्ति) वाले वायरलेस सेट का उपयोग किया जा रहा है. ज्यादा फ्रीक्वेंसी के वायरलेस सेट पर बातचीत करने पर इसे एफएम की मदद से इसे आसपास के क्षेत्रों से कैच भी किया जा सकता है. इससे नक्सली या अपराधी सुरक्षा बलों की बातचीत सुन भी सकते हैं.

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