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एक अपराधी थाना गेट पर, दूसरा जीप के पीछे

शातिर इंदल घटना से पहले पुलिस पर देता था पहरा विजय सिंह पटना : यकीनन, अनोखा अंदाज. शिकार को टारगेट करना, घटनास्थल तय करना और फिर इलाके की पुलिस पर पहरा बैठा देना. यह शातिराना अंदाज इंदल राय उर्फ इंदल यादव गैंग का है. गैंग का एक सदस्य उस थाना गेट पर रहता था, जिस […]

शातिर इंदल घटना से पहले पुलिस पर देता था पहरा
विजय सिंह
पटना : यकीनन, अनोखा अंदाज. शिकार को टारगेट करना, घटनास्थल तय करना और फिर इलाके की पुलिस पर पहरा बैठा देना. यह शातिराना अंदाज इंदल राय उर्फ इंदल यादव गैंग का है. गैंग का एक सदस्य उस थाना गेट पर रहता था, जिस क्षेत्र में लूट करना होता था. दूसरा सदस्य थाने की पेट्रोलिंग गाड़ी के पीछे लग जाता था. इसके बाद आइपीसी की धारा पर आधारित कोड को इस्तेमाल करके पूरे गैंग को बुला लिया जाता था. मतलब फुल प्रूफ तैयारी और फिर लूट की बड़ी घटना को अंजाम. गैंग के सदस्यों के पकड़े जाने के बाद इस खुलासे ने पुलिस पदाधिकारियों के होश उड़ा दिये हैं.
दरअसल इंदल राय और सुजीत कुमार दोनों मिलकर लूट-डैकती की पूरी साजिश रचते थे. गेम की शुरुआत माइक्रो फाइनेंस कंपनी से शुरू होती थी. कंपनी में काम करनेवाले गैंग के सदस्य मिथिलेश इंदल को बता देता था कि पैसा किस रूट से जायेगा. कितने लोग रहेंगे. बाइक से ले जाये जायेंगे या फिर चार पहिये से. रूट जानने के बाद इंदल और सुजीत मिलकर लूट को अंजाम देने के लिए पूरा जाल बुनते थे.
कोड वर्ड में बात कर बुलाते थे िगरोह के सदस्यों को
जिस रूट से पैसा लेकर कंपनी के लोग निकलते थे, उसकी जानकारी होने के बाद इंदल और सुजीत उस रूट की सुनसान जगहों को चिह्नित करते थे. इसके बाद काेड वर्ड में बात करके पूरे गैंग के लोगों को वहां बुला लेता था, जबकि गैंग के दो सदस्यों को पुलिस के पीछे लगा देता था. इनका काम था कि पुलिस पर पीछे साये की तरह रहना. एक सस्दय थाने के गेट पर खड़ा रहता था. वहां की गतिविधियों को वाच करता था.
अपराधियों की मंशा थी कि बाद में नहीं हो कोई प्रॉब्लम
साजिश के पीछे इंदल सुजीत मंशा थी कि लूट के वक्त कोई चूक हो भी तो पुलिस के लोकेशन की जानकारी मिलती रहे और भागने में आसानी रहे. दूसरा अगर किसी राहगीर ने थाने में फोन कर दिया, तो रवाना हाेनेवाली फोर्स का लोकेशन मिल जाये. इससे घटनास्थल से पेट्रोलिंग पार्टी की दूरी का पता भी चल जाता था. इस सािजश में गैंग कामयाब रहा और 2015 में सात बड़ी लूट-डकैती को अंजाम दिया.
लाइनर पकड़ा गया, पहरेदार की तलाश
दीघा पुलिस ने माइक्रो फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी रहे मिथिलेश को गिरफ्तार कर लिया है. वह मनेर से पकड़ा गया है. सूअरमरवा का रहनेवाला मिथिलेश ही इंदल गैंग का लाइनर था. उसने पटना में छह महीने तक माइक्रो फाइनेंस कंपनी में नौकरी की और इंदल को सूचना लीक कर लूट कराता था.
छह महीने तक नौकरी के बाद वह कंपनी छोड़ दिया, लेकिन कंपनी के लोगों के संपर्क में रह कर अपने गैंग के लिए लाइनर का काम करता था. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. वहीं लूट के समय थाना और पेट्रोलिंग पार्टी पर नजर रखनेवाले दोनों शातिर नहीं पकड़े गये हैं. पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही है. पुलिस ने नाम का खुलासा अभी नहीं किया है.

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