पटना : महागंठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर सामान्य कांग्रेसी भौचक्क हैं. महागंठबंधन में कांग्रेस के हिस्से में महज 41 सीटें आयी है. जो सीटे कांग्रेस के खाते में आयी है उसमें भी 13 जिलों में पार्टी के खाते में एक भी सीट नहीं है. यह भी पहला अवसर हैं जब प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष समीर कुमार महासेठ बिना इस्तीफा सौंपे मधुबनी से राजद के कैंडिडेट बना दिये गये हैं. पार्टी ने पश्चिम चंपारण व कटिहार में चार-चार सीटे ली जबकि 13 जिलों में एक भी सीट नहीं ले पायी. ये जिले हैं : सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीवान, खगडिया, बांका, मुंगेर, लखीसराय, नालंदा, अरवल और जहानाबाद.
जिले शामिल हैं. आखिर इन जिलों में पार्टी किस मजबूरी में सीट नहीं ले सकीं. भोजपुर जिला के तरारी विधानसभा क्षेत्र में पार्टी को 1600 मत मिले थे वहां की सीट ले ली. जबकि बड़हरा में पार्टी को छह हजार से अधिक मत मिले थे, उसे क्यों छोड़ दिया. भोरे में पार्टी ने उसी उम्मीदवार पर दांव लगाया जो 2010 के चुनाव के चंद दिन पहले पार्टी में शामिल होकर टिकट लिया था. पराजय हाथ आयी तो पार्टी छोड़ दूसरे दल में चले गये. फिर जब चुनाव का समय आया तो वह कांग्रेस में शामिल हो गये और उन्हें टिकट दे दिया गया.