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इडी के छोटे मामलों की जांच इओयू को दी जाये

पुलिस मुख्यालय ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को लिखा दूसरी बार पत्र पांच करोड़ तक के मामलों की जांच का अधिकार इओयू को सौंपने की मांग पटना : राज्य में आपराधिक तरीके से संपत्ति कमाने वालों पर शिकंजा कसने में इडी (प्रवर्तन निदेशालय) बहुत कारगर साबित नहीं हो रहा है. महीनों से लंबित पड़े रहने के […]

पुलिस मुख्यालय ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को लिखा दूसरी बार पत्र
पांच करोड़ तक के मामलों की जांच का अधिकार इओयू को सौंपने की मांग
पटना : राज्य में आपराधिक तरीके से संपत्ति कमाने वालों पर शिकंजा कसने में इडी (प्रवर्तन निदेशालय) बहुत कारगर साबित नहीं हो रहा है. महीनों से लंबित पड़े रहने के कारण मामलों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है.
इसके मद्देनजर इन अपराधियों पर कार्रवाई करने के लिए बिहार के डीजीपी ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा है. इसमें पांच करोड़ तक के ऐसे मामलों पर कार्रवाई करने का अधिकार राज्य के आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) को सौंपने की मांग की गयी है. यह दूसरी बार है, जब राज्य के पुलिस महकमे ने इस तरह का पत्र लिखा है.
इसलिए पड़ी इसकी जरूरत : राज्य में पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट) के तहत अपराधिक प्रवृत्ति के करीब 50 लोगों के मामले ईडी के पास एक साल से ज्यादा समय से लंबित पड़े हुए हैं. इसमें करीब 26 मामले पांच करोड़ तक या इससे कम के लंबित पड़े हुए हैं. इन छोटे मामलों पर इओयू अपने स्तर से कार्रवाई कर सकता है. चूकिं पीएमएलए के तहत कार्रवाई करने का मुख्य रूप से अधिकारी इडी को ही है.
यह कहकर नहीं दी थी अनुमति : पिछली बार जब बिहार पुलिस ने पांच करोड़ तक के मामले की जांच करने का अधिकार इओयू को देने की मांग की थी, तो केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने यह शर्त रखी कि इसके लिए ईडी में काम करने वाला अधिकारी इओयू में होना जरूरी है. जबकि बिहार में वर्तमान में ऐसे कोई अधिकारी नहीं हैं, जिन्होंने इडी में काम किया है.
सभी केंद्रीय जांच एजेंसियों के बड़े पद खाली
राज्य में इडी, सीबीआइ और आइबी समेत जितनी भी केंद्रीय जांच एजेंसियां काम कर रही हैं, तकरीबन सभी के शीर्ष पद चाहे खाली पड़े हैं या अतिरिक्त प्रभार में चल रहे हैं. बिहार में ईडी के निदेशक का पद ओड़िसा और पश्चिम बंगाल के साथ-साथ दिल्ली में तैनात निदेशक के अतिरिक्त प्रभार में चल रहा है.
सीबीआइ में भी डीआइजी का पद ओडि़सा के अतिरिक्त प्रभार में चल रहा है. आइबी की भी स्थिति ऐसी ही है. इन कारणों से अपराधियों के खिलाफ या बड़े स्तर के कई जांच प्रभावित हो रहे हैं. महीनों से मामले लंबित पड़े हुए हैं.

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