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भागलपुर दंगे के अभियुक्त की जमानत पर बंटे जज

सुनवाई के लिए कोर्ट का फैसला चीफ जस्टिस करेंगे पटना : भागलपुर दंगे के सजायाफ्ता कामेश्वर प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर गुरुवार को पटना हाइकोर्ट का दो सदस्यीय खंडपीठ आपस में बंट गया. दोनों जजों ने अलग-अलग राय दी. इसके कारण 12 सितंबर, 2008 से जेल में बंद कामेश्वर यादव की जमानत एक बार […]

सुनवाई के लिए कोर्ट का फैसला चीफ जस्टिस करेंगे

पटना : भागलपुर दंगे के सजायाफ्ता कामेश्वर प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर गुरुवार को पटना हाइकोर्ट का दो सदस्यीय खंडपीठ आपस में बंट गया. दोनों जजों ने अलग-अलग राय दी. इसके कारण 12 सितंबर, 2008 से जेल में बंद कामेश्वर यादव की जमानत एक बार फिर टल गयी. अब कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी को निर्णय करना है कि कौन-सा कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई करेगी.

दरअसल, कामेश्वर की जमानत याचिका पर न्यायाधीश धरनीधर झा और न्यायाधीश ए अमानुल्लाह के दो सदस्यीय खंडपीठ में सुनवाई चली. सुनवाई के बाद न्यायाधीश धरनीधर झा ने याचिका स्वीकार कर ली. उनका तर्क था कि कामेश्वर के खिलाफ कोइ साक्ष्य नहीं है. सूचनादाता ने कहा कि गोली चलने के लगभग 15 से 20 मिनट बाद हल्ला होने पर वह घटनास्थल पर पहुंचा था. दूसरे जज ए अमानुल्लाह ने कहा कि निचली अदालत के फैसले में कोई गड़बड़ी नहीं है. निचली अदालत ने नौ नवंबर, 2009 को कामेश्वर को उम्रकैद की सजा सुनायी थी. यादव 12 सितंबर, 2006 से जेल में बंद है. भागलपुर दंगे को लेकर 24 अक्तूबर, 1989 को भागलपुर के कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.

लेकिन, पुलिस ने कामेश्वर प्रसाद यादव को आरोपमुक्त कर दिया. 16 साल बाद 2006 में राज्य सरकार ने दोबारा भागलपुर दंगे से जुड़ी फाइल खुलवायी. 25 मार्च, 2006 को डीजी ने भागलपुर के एसपी को लिखित तौर पर दंगे के पुराने केस की फिर से तहकीकात का आदेश दिया. जावेद महमूद के प्रोटेस्ट पीटिशन पर ट्रायल चला और जिले के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरविंद माधव ने कामेश्वर प्रसाद यादव को उम्रकैद की सजा सुनायी.

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