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-1931 -32 में पहली बार हुई थी जातिगत जनगणना – इसी रिपोर्ट के आधार पर एससी/एसटी व ओबीसी के लिए अधिकारों का प्रावधान हुआ था. – देश के कुल 24.39 करोड़ परिवार में से 17.91 करोड़ परिवार गांवों में रहता है- गांव में रहनेवाले परिवारों में से 7.05 करोड़ परिवार की आमदनी 10 हजार से […]

-1931 -32 में पहली बार हुई थी जातिगत जनगणना – इसी रिपोर्ट के आधार पर एससी/एसटी व ओबीसी के लिए अधिकारों का प्रावधान हुआ था. – देश के कुल 24.39 करोड़ परिवार में से 17.91 करोड़ परिवार गांवों में रहता है- गांव में रहनेवाले परिवारों में से 7.05 करोड़ परिवार की आमदनी 10 हजार से भी कम है- 5.39 करोड़ परिवार खेती वारी, 9.16 करोड़ परिवार दिहाड़ी मजदूरी, 44.84 लाख परिवार घरेलू नौकरी, 4.08 करोड़ परिवार कूड़ा चुनने तथा 6.68 लाख परिवार भिक्षाटन कर अपना जीवन यापन करते हैं- कुल ग्रामीण आबादी का 56 फीसदी लोग भूमिहीन हैं. – गांव में 2.37 करोड़ परिवार एक कमरे के कच्चे मकान में रहता है. – 1931 की जातिगत जनगणना व 1980 के मंडल कमीशन के अनुसार देश में 54% ओबीसी थे, अब यह 70 से 80 % तक हो गया है. – कम-से-कम 30% एससी/एसटी, जबकि सवर्ण सिर्फ 10% – मोदी सरकार में 27 कैबिनेट मंत्रियों में 20 उच्च वर्ग के. 8-10 ब्राह्मण, 4 क्षत्रिय, बाकी कायस्थ, कम्मा, मराठा व खत्री हैं.-पांच- छह राज्यों में पिछड़े मुख्यमंत्री हैं, दलित एक भी नहीं- प्रधानमंत्री कार्यालय में एक भी ओबीसी अफसर नहीं – अगड़ी जातियों में आरएसएस समर्थित एक जाति विशेष का दबदबा-सवर्ण जातियों में ठाकुर और कायस्थों की उच्च पदों पर संख्या घटी

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