सात बड़े मिलरों पर 80 करोड़ का बकाया
मिलरों पर यह बकाया 2011-12 से 2013-14 तक दिये गये धान का है
पटना : कानूनी कार्रवाई के बावजूद राज्य के लगभग 2000 मिलरों पर 1294.39 करोड़ रुपये का बकाया है. सात ऐसे बकायेदार हैं, जिस पर 80 करोड़ रुपये बकाया है. मिलरों पर यह बकाया 2011-12 से 2013-14 तक दिये गये धान का है. मिलरों को धान से चावल तैयार करने के लिए एक समझौते के तहत अनाज दिया गया था. इसमें सात ऐसे बकायेदार हैं, जिन पर 10 करोड़ तक का बकाया है.
मिलरों से चावल या राशि की वसूली के लिए राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) ने अब तक 2024 मिलरों पर प्राथमिकी दर्ज करायी है. इसमें 163 पर तो वारंट भी जारी किया जा चुका है. निगम के अधिकारी ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद अब तक 282 करोड़ रुपये की वसूली हुई है. कई मिलर निगम के साथ विमर्श कर किश्त में भुगतान पर सहमत हुए हैं.
इसके बावजूद बड़े बकायेदारों पर अब भी बड़ी रकम की वसूली बाकी है. अधिकारी ने बताया कि 2011-12 से 2013-14 तक निगम ने मिलरों को चावल तैयार करने के लिए 55.05 लाख मीटरिक टन धान दिया था. मिलरों से सरकार को 35.92 लाख मीटरिक टन चावल मिलना चाहिए था.
वसूली के लिए चल रही है कार्रवाई : अधिकारी ने बताया कि राज्य के सात ऐसे मिलर हैं, जिन पर 80 करोड़ रुपये अधिक का बकाया है. इनसे वसूली के लिए कार्रवाई की जा रही है.
ऐसे मिलरों पर प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है. इनमें नालंदा के पावापुरी राइस मिल, सुपौल का लाइफ लाइन चावल मिल, मुजफ्फरपुर स्थित माडर्न राइस मिल, दरभंगा के जगदंबा फूड, सुपौल के ललित राइस मिल, शिवहर के राजू कुमार सिंह एंड आरके एंड संस और अररिया के पूर्णिमा राइस मिल शामिल हैं.
खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने कहा है कि सरकार मिलरों से बकाये की वसूली होगी. निगम के एमडी एके सिंह ने कहा कि धान की गड़बड़ी में शामिल अब तक 394 कर्मियों की पहचान की गयी है. ऐसे 184 कर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है. 193 कर्मियों पर प्रपत्र ‘क’ के माध्यम से आरोप पत्र गठित किया जा रहा है.
सरकार ने आर्थिक कोषांग में मामला दायर किया है. जांच भी हुई है. कोर्ट से हमे जमानत मिल गयी है. हकीकत यह है कि हमारा ही निगम पर दो करोड़ 22 लाख रुपये बकाया है. कोर्ट के निर्णय का पालन किया जायेगा.
डीपी गुप्ता, मालिक, पावापुरी राइस मिल