अपने दामाद को निजी सहायक नियुक्त करने के मुद्दे पर तो भाजपा ने मांझी पर त्यागपत्र देने का दबाव बनाने के लिए एक पूरी मुहिम छेड़ दी थी. मांझी के इस कदम को सुशील मोदी ने अपने सात नवंबर, 2014 के बयान में अनैतिक, गैरकानूनी एवं असंवैधानिक करार दिया था. वहीं प्रदेश के चिकित्सकों के हाथ काट लेनेवाले मांझी के बयान पर भी सुशील मोदी ने उनसे इस्तीफे की मांग की थी.
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मोदी-मांझी मुलाकात पर जदयू ने की टिप्पणी, मांझी के साथ गंठबंधन की कीमत बताये भाजपा
पटना: राज्य योजना पर्षद के सदस्य और पूर्व विधान पार्षद संजय झा ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की मुलाकात पर तीखी प्रतिक्रिया जतायी है. भाजपा को इस गंठबंधन की कीमत सार्वजनिक करनी चाहिए. साथ ही सुशील मोदी की मांझी के साथ मंगलवार की बैठक पर प्रश्न उठाये हैं. झा […]
पटना: राज्य योजना पर्षद के सदस्य और पूर्व विधान पार्षद संजय झा ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की मुलाकात पर तीखी प्रतिक्रिया जतायी है. भाजपा को इस गंठबंधन की कीमत सार्वजनिक करनी चाहिए. साथ ही सुशील मोदी की मांझी के साथ मंगलवार की बैठक पर प्रश्न उठाये हैं. झा ने कहा कि अगस्त, 2014 से लगातार भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की आलोचना में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी.
मांझी के विचारों से किस हद तक सहमत है भाजपा
संजय झा ने कहा कि मुख्यमंत्री मांझी के मंदिर धोये जानेवाले प्रकरण को सामाजिक एवं जातीय तनाव उद्वेलित करनेवाली कृत बताने में भाजपा और सुशील मोदी ने मीडिया और अपने फेसबुक पर तीखे वाण चलाये थे. प्रदेश की जनता उनसे यह जानना चाहती है कि महिलाओं, जातीय सद्भाव एवं भष्टाचार उन्मूलन जैसे मौलिक विषयों पर भाजपा मांझी के विचारों का किस हद तक समर्थन करती है. जिन मुद्दों पर भाजपा ने मांझी की भरपूर भर्त्सना की थी, क्या उन सभी मुद्दों की प्रासंगिकता इस चुनावी दौर में बदल गयी है? यह सर्वविदित है कि दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा के लिए बिहार में होनेवाले चुनाव अत्यंत कठिन साबित होते जा रहे हैं.
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