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विवि शिक्षक नियुक्ति: शिक्षा विभाग ने बीपीएससी को भेजा पत्र, बताया नियुक्ति का आधार नेट या 2009 की गाइडलाइन

पटना: राज्य के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 3,364 पदों के लिए उन्हीं अभ्यर्थियों के आवेदन मान्य होंगे, जिन्होंने नेट पास किया हो या फिर यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन के अनुसार पीएचडी की हो. यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन के अनुसार, जिन्होंने 11 जुलाई, 2011 के पहले पीएचडी में रजिस्ट्रेशन करवा लिया हो व […]

पटना: राज्य के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 3,364 पदों के लिए उन्हीं अभ्यर्थियों के आवेदन मान्य होंगे, जिन्होंने नेट पास किया हो या फिर यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन के अनुसार पीएचडी की हो. यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन के अनुसार, जिन्होंने 11 जुलाई, 2011 के पहले पीएचडी में रजिस्ट्रेशन करवा लिया हो व बाद में पीएचडी पूरी कर ली हो और रजिस्ट्रेशनवाला विश्वविद्यालय निर्धारित 11 मापदंडों में से कम-से-कम छह को पूरा करता हो, तो उन्हें नेट क्वालिफाइ नहीं करना होगा. सुप्रीम कोर्ट से आदेश आने के बाद शिक्षा विभाग ने इस संबंध में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को इसकी सूचना दे दी है. अब इसी आधार पर विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति होगी.
शिक्षा विभाग के अपर सचिव के सेंथिल कुमार द्वारा बीपीएससी को भेजे गये पत्र के मुताबिक, विश्वविद्यालयों में अब नेट क्वालिफाइ करनेवाले अभ्यर्थी ही असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकेंगे. इसमें सिर्फ यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन के अनुसार पीएचडी करनेवाले अभ्यर्थियों के लिए नेट क्वालिफाइ करने की बाध्यता नहीं रहेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने बीपीएससी को इस संबंध में इसकी जानकारी दे दी है और इसी आधार पर नियुक्ति करने को कहा गया है. विवि शिक्षकों की नियुक्ति संबंधित प्रक्रिया 13 सितंबर, 2014 से शुरू है और पांच जनवरी, 2015 तक इसके लिए आवेदन भी ले लिये गये हैं. उधर, बीपीएससी में आवेदनों का डाटा बेस तैयार करने का काम अंतिम चरण में है. जल्द ही आयोग शैक्षणिक योग्यता के अनुसार अभ्यर्थियों की मेधा सूची तैयार करेगा और उसके बाद इंटरव्यू के लिए उन्हें बुलाया जायेगा.

विश्वविद्यालयों 3,364 पदों पर बहाली के लिए बीपीएससी ने 13 सिंतबर को विज्ञापन निकाला था और 20 नवंबर तक आवेदन पत्र भरने की अंतिम तारीख थी. बीपीएससी द्वारा निकाले गये विज्ञापन के अनुसार नेट पास या फिर यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन के अनुसार पीएचडी करनेवाले अभ्यर्थी ही आवेदन कर पा रहे थे. इसके के बाद शिक्षा विभाग ने 2009 से पहले पीएचडी करनेवाले को नेट पास करने का एक मौका दिया. मामला हाइकोर्ट में भी गया, जिसकी वजह से आवेदन लेने की तारीख 20 नवंबर से बढ़ा कर पांच जनवरी 2015 तक की गयी.

पीएचडी या एम-फिल मेधा अंक
नेट के साथ यूजीसी के गाइडलाइन 2009 से पीएचडी 10
बिना नेट के यूजीसी गाइडलाइन 2009 से पीएचडी 07
नेट है पर यूजीसी गाइडलाइन 2009 से पीएचडी नहीं है तो 05
यूजीसी गाइड लाइन 2009 के साथ एम-फिल और नेट 04
यूजीसी गाइडलाइन 2009 के बिना एम-फिल और नेट 02
पहले सरकार ने सभी पीएचडीवालों को फॉर्म भरने की दी थी छूट
18 सितंबर, 2014 को सरकार ने घोषणा की थी कि यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन से पहले पीएचडी करनेवाले अभ्यर्थी, जो पीजी में 55 फीसदी अंक लाये हैं, वे आवेदन तो कर सकेंगे, लेकिन दिसंबर, 2014 में होनेवाले नेट में उन्हें क्वालिफाइ करना होगा. जो छात्र क्वालिफाइ नहीं करेंगे, उन्हें इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया जायेगा. सरकार ने साफ कहा था कि विश्वविद्यालयों में 2003 के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली नहीं हुई है. अगर बहाली होती, तो 2009 से पहले पीएचडी करनेवाले सभी अभ्यर्थियों को पहले ही मौका मिल जाता. इसलिए सरकार ने यह फैसला किया है. यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन के अनुसार पीएचडी करनेवाले बिहार के छात्र नहीं के बराबर हैं, क्योंकि यूजीसी की 2009 की गाइडलाइन के अनुसार बिहार के कुछ विश्वविद्यालयों में नवंबर, 2012 से पीएचडी शुरू हुई.

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