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लैब में कैद होकर रह गयी कंप्यूटर शिक्षा

पटना: बिहार के बच्चे तकनीकी शिक्षा से जुड़ सके, इसके लिए प्रत्येक विद्यालय में कंप्यूटर लैब बनाये गये हैं. विभिन्न एजेंसियों के जरिये लैब ऑपरेट करने के लिए कंप्यूटर शिक्षक की व्यवस्था भी की गयी, लेकिन न तो स्कूलों में कंप्यूटर का इस्तेमाल शिक्षक करते हैं और न ही बच्चे. स्कूलों में बच्चों को दी […]

पटना: बिहार के बच्चे तकनीकी शिक्षा से जुड़ सके, इसके लिए प्रत्येक विद्यालय में कंप्यूटर लैब बनाये गये हैं. विभिन्न एजेंसियों के जरिये लैब ऑपरेट करने के लिए कंप्यूटर शिक्षक की व्यवस्था भी की गयी, लेकिन न तो स्कूलों में कंप्यूटर का इस्तेमाल शिक्षक करते हैं और न ही बच्चे. स्कूलों में बच्चों को दी जानेवाली कंप्यूटर शिक्षा वर्षो से लैब में बंद पड़ी है. इससे कुछ कंप्यूटरों का उपयोग अब सरकारी कार्यो में भी किया जाने लगा है.
शिक्षा विभाग द्वारा ‘बूट मॉडल’(बिल्ट ऑन ऑपरेटिंग ट्रांसफर) के तहत वर्ष 2006 -07 में स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा की पढ़ाई शुरू की गयी. बेल्ट्रॉन के जरिये स्कूलों में शिक्षकों को ट्रेनिंग भी दी गयी. इसके बाद जिले सभी हाइस्कूल में एनआइटी और एडुकॉन एजेंसी के जरिये स्कूलों में कंप्यूटर लैब भी स्थापित कर शिक्षकों को ट्रेनिंग भी दी गयी. इसके बाद स्कूलों के शिक्षकों को कंप्यूटर लैब चलाना था, लेकिन एजेंसी का टर्म पूरा होते ही स्कूल प्रशासन की ओर से इसका संचालन बंद हो गया.
वर्ष 2011-14 में बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना के जरिये सूबे के 832 स्कूलों में में विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से कंप्यूटर लैब की व्यवस्था की गयी. इसके लिए सभी स्कूलों में नौ लाख रुपये की लागत से लैब स्थापित किये गये. इसके लिए साढ़े सात लाख रुपये की एकमुश्त राशि दी गयी. शेष राशि कंप्यूटर शिक्षक के मानदेय, जेनरेटर आदि पर खर्च की गयी. इसके लिए राज्य माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से सभी जिलों के डीएम को निर्देश भेजा गया है. बावजूद इसके विद्यालयों में कंप्यूटर की शिक्षा नहीं दी जा रही है. स्कूल की मानें तो विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षक नहीं होने से कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. राज्य माध्यमिक शिक्षा परिषद के सूत्रों के अनुसार इस क मी को दूर करने के जिए जल्द ही कंप्यूटर शिक्षक की बहाली की जायेगी.
शिक्षक ही नहीं हैं, तो कंप्यूटर शिक्षा कौन देगा. वहीं कई बार विभाग के कार्यो में प्रयोग के लिए मंगाया जाता है, इससे भी कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. लाखों रुपये के कंप्यूटर स्कूलों में पड़े हुए हैं.
– त्रिपुरारी पासवान, प्रधानाचार्य, कन्या मध्य विद्यालय गोलघर पार्क
तीन साल का टर्म समाप्त होने के बाद कंप्यूटर शिक्षक चले गये, तब से कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो रही है. विद्यालय में कोई भी शिक्षक कंप्यूटर में पारंगत नहीं हैं. बच्चे कंप्यूटर लैब को क्षति नहीं पहुंचा सके, इसलिए कमरे में ताला लगा दिया गया है.
– गायत्री सिंह , प्राचार्या, पटना बीएन कॉलेजिएट
स्कूल प्रशासन की लापरवाही से कंप्यूटर बंद पड़े हैं. स्कूलों को इसके लिए पत्र भेजा गया है, ताकि वे इसका प्रयोग स्वयं व बच्चों के विकास के लिए कर सकें. जल्द ही कंप्यूटर शिक्षक की नियुक्ति की जायेगी, ताकि बच्चों को इसका फायदा मिले.
– चंद्रशेखर कुमार, डीइओ

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