पटना: राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने विधानसभा में गुरुवार को कहा कि सरकार दो माह के अंदर पटना स्थित खास महाल की जमीन की नये सिरे से जांच करायेगी. इसके साथ ही ऐसे आवंटित जमीन पर आवंटन से अलग काम करनेवाले लीजधारकों के खिलाफ कार्रवाई भी की जायेगी. मंत्री गुरुवार को […]
पटना: राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने विधानसभा में गुरुवार को कहा कि सरकार दो माह के अंदर पटना स्थित खास महाल की जमीन की नये सिरे से जांच करायेगी. इसके साथ ही ऐसे आवंटित जमीन पर आवंटन से अलग काम करनेवाले लीजधारकों के खिलाफ कार्रवाई भी की जायेगी.
मंत्री गुरुवार को विधानसभा में डॉ अच्युतानंद के अल्पसूचित प्रश्न का जवाब दे रहे थे. राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री ने बताया कि पटना शहर में 1952 में खास महाल की जमीन दी गयी थी. इसके तहत पटना में पट्टेधारकों की संख्या 632 हैं.
पटना में खास महाल जमीन का कुल रकबा 137.36 एकड़ हैं. इसमें से सरकार ने 136.18 एकड़ जमीन को लीज पर दी है. खास महाल की शेष 1.18 एकड़ भूमि शेष हैं. उन्होंने बताया कि डाबर आयुव्रेद भवन को भूमि बंदोबस्ती नहीं की गयी है. सरकार ने 2011 में खास महाल नीति बनायी गयी थी. इसके प्रावधान के तहत किसी भी आवंटी को 30 साल तक के लिए जमीन लीज पर दी जाती है. अगर लीज धारक ने शर्तो में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं की और प्रावधान के तहत काम करते हैं तो उनको पुन: लीज का नवीकरण कर दिया जाता है.
खास महाल की जमीन तीन उद्देश्यों के लिए लीज पर दी जाती है, इसमें आवासीय सुविधा, व्यावसायिक कार्य और क्लब के लिए दिया जाता है. इस जमीन पर राजस्व के अलावा वार्षिक लगान भी लिया जाता है. मंत्री ने यह भी बताया कि डाबर आयुव्रेद भवन की भूमि को बंदोबस्ती नहीं की गयी है. डा अच्युतानंद ने पूरक प्रश्न के माध्यम से पूछा कि सरकार ने खास महाल की भूमि कितनी राशि पर दिया. तिब्बी कॉलेज की भूमि को रद्द करने की घोषणा की गयी थी जबकि अभी तक उसे रद्द नहीं किया गया.
प्रेम कुमार ने सरकार से पूछा कि सरकार ने यह देखा है कि जिसको लीज दिया गया था, वह शर्तो का पालन कर रहा है. सदस्यों की भावना को देखते हुए विधान सभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सरकार को निर्देश दिया कि बेलीरोड, डाकबंगला चौराहा, सिन्हा लाइब्रेरी और कदमकुआं में जमीन दी गयी है. उसकी लीज समाप्त हो गयी या नहीं. जिस शर्त पर लीज दिया गया, उसका पालन हो रहा है या नहीं. इससे सरकार को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है. ऐसी स्थिति में सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए. आसन के निर्देश के बाद मंत्री ने खास महाल जमीन की जांच कराने का आश्वासन दिया.