पटना: खुले में मांस-मछली की बिक्री पर हाइकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. न्यायाधीश नवीन सिन्हा व शिवाजी पांडेय के खंडपीठ ने मंगलवार को इस संबंध में दायर लोकहित याचिका की सुनवाई के दौरान नगर निगम से पूछा कि शहर में प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल एक्ट 2005 का पालन हो रहा है या नहीं. इस एक्ट के तहत मांस-मछली की बिक्री शहर से बाहर होनी चाहिए.
कोर्ट ने कहा, गरमी छुट्टी के बाद निगम आयुक्त खुद हलफनामा दायर कर यह बताएं कि इस तरह की बिक्री को रोकने के लिए क्या उपाय किये गये हैं और क्या कार्ययोजना है? स्वामी राकेश कुमार की लोकहित याचिका में कहा गया था कि शहर में खुलेआम चौक-चौराहे पर मांस की ब्रिकी हो रही है. कानून के विरुद्ध चिड़ियों को मारा जा रहा है. इससे सुबह स्कूल जानेवाले बच्चों पर कुप्रभाव पड़ रहा है. साथ ही वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि निगम यह देखे कि इस संबंध में जो कानून बने हैं, उनका अनुपालन हो रहा है या नहीं. आवेदक की ओर से अधिवक्ता आलोक अग्रवाल ने पक्ष रखा.
अतिक्रमण पर नाराजगी
हाइकोर्ट ने सरकार से सभी जिलों में सड़क की जमीन पर अतिक्रमण से संबंधित रिपोर्ट मांगी है. साथ ही रास्ते पर सब्जी, मांस व मछली बाजार व बस अड्डा जैसे निर्माण की भी जानकारी देने के लिए कहा है. कोर्ट ने गोपालगंज के छविनाथ राय की लोकहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि इस संबंध में एक समेकित योजना तैयार की जाये. कोर्ट ने सरकार से कहा कि सड़कों पर से अतिक्रमण हटाने के लिए वह किस प्रकार की योजना बना रही है, इसकी जानकारी 24 जून तक कोर्ट को उपलब्ध कराये.