पटना: निषाद महाकुंभ रैली में पटना पुलिस की टीम ने मंच की सुरक्षा को लेकर उपयोग किये जा रहे ड्रोन कैमरे को जब्त कर लिया है. इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है. रैली आयोजक द्वारा एक निजी कंपनी से ड्रोन को किराये पर लिया गया […]
पटना: निषाद महाकुंभ रैली में पटना पुलिस की टीम ने मंच की सुरक्षा को लेकर उपयोग किये जा रहे ड्रोन कैमरे को जब्त कर लिया है. इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है. रैली आयोजक द्वारा एक निजी कंपनी से ड्रोन को किराये पर लिया गया था. पुलिस ने ड्रोन को तो जब्त कर लिया, लेकिन यह समझ नहीं आ रहा था कि किस धारा के तहत कानूनी कार्रवाई की जाये, क्योंकि बिहार में पहला ऐसा मामला है, जिसमें ड्रोन को बरामद किया गया है. इस तरह ड्रोन का उपयोग कभी भी नहीं किया गया था.
एसएसपी जितेंद्र राणा ने बताया कि गांधी मैदान में उपयोग किये गये ड्रोन कैमरे को जब्त कर लिया है. निजी कंपनियों को यह अनुमति नहीं है कि वे ड्रोन का कमर्शियल उद्देश्य को लेकर पब्लिक प्लेस में इसका उपयोग कर सके. इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रलय से अनुमति लेनी जरूरी है. उन्होंने कहा कि ड्रोन से एयर स्पेस के नियमों का उल्लंघन हुआ है. मामले की पूरी तरह जांच की जा रही है और कानूनी कार्रवाई की जायेगी. इधर आयोजकों ने बताया कि उन लोगों ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से ड्रोन का निजी कंपनी से लिया था.
पहले समझ में नहीं आया और जब जांच की तो निकला ड्रोन
मंच की सुरक्षा को लेकर रैली के संचालक आकाश से ड्रोन के माध्यम से नजर रख रहे थे. इन लोगों ने एक निजी कंपनी से ड्रोन किराये पर लिया था. रैली के शुरू होने के पूर्व ही ड्रोन का उपयोग शुरू हो गया था. यह कुछ देर चला, लेकिन पहले वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को कुछ समझ में नहीं आया. वे इसे ऐसे ही कुछ समझ रहे थे. इसी बीच पुलिस को शक हुआ और जब छानबीन की, तो पता चला कि ड्रोन है. इसके बाद वरीय पुलिस पदाधिकारियों को मामले की जानकारी दी गयी. आनन-फानन में एसएसपी के निर्देश पर पुलिस टीम पहुंची और ड्रोन को जब्त कर लिया. इसके साथ ही ड्रोन को संचालित करने वाले उपकरण भी जब्त कर लिये गये.
क्या है ड्रोन
बरामद छोटा ड्रोन अनमैंड एरियल व्हीकल ड्रोन के हल्के भार वाली एक छोटी इकाई है, जिसमें जीपीएस, सेंसर व कैमरा लगा है. इसे इंटरनेट स्पाई सिस्टम भी कहा जाता है, क्योंकि यह इंटरनेट के माध्यम से संचालित होता है. इसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने निगरानी व टोह के ऑपरेशन के लिए विकसित किया था. इसका उपयोग आकाश से इलाके पर नजर रखने के लिए फिलहाल भारतीय सेना व अर्धसैनिक बलों द्वारा किया जाता है. ड्रोन हर तरह की है और उसकी कीमत 20 लाख से लेकर 40 लाख तक है. ड्रोन की क्षमता के अनुसार कीमत होती है. आमतौर पर ड्रोन की खासियत यह है कि आकाश में कम से कम 400 मीटर की ऊंचाई तक ऊपर उड़ सकता है और करीब एक से दो किलोमीटर के रेडियस में पड़ने वाले इलाकों पर अपनी नजर रख सकता है. इसके साथ ही यह दो किलोमीटर तक गतिशील हो सकता है.
इन इलाकों की सारी तसवीर को वह कंप्यूटर में भेजता है और वहां बैठा व्यक्ति चप्पे-चप्पे पर नजर रख सकता है. इसकी तसवीर इतनी साफ होती है कि छोटी-छोटी वस्तु भी इसके जद में आ जाती है. हालांकि शहरी इलाकों में इसे 200 मीटर तक की ऊंचाई तक ही उड़ाया जाता है, क्योंकि 200 मीटर की ऊंचाई से इसके माध्यम से स्पष्ट तसवीर आती है और दूसरा विमान आदि से टकराने का खतरा नहीं रहता है.
गणतंत्र दिवस पर पुलिस ने सुरक्षा को लेकर ड्रोन का किया गया उपयोग ड्रोन (नेत्र) की मदद से इस साल पटना पुलिस ने सुरक्षा को लेकर ड्रोन का उपयोग किया था. इस ड्रोन को सीआरपीएफ ने पटना पुलिस को प्रदान किया था.
मुंबई में ड्रोन के माध्यम से घर तक पहुंचाया जाने लगा था पिज्जा व बर्गर
मुंबई में पिछले साल ड्रोन के माध्यम से एक कंपनी ने ग्राहकों को पिज्जा व बर्गर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया था. इसकी जानकारी जैसे ही मुंबई पुलिस को मिली, वैसे ही उसने रोक लगा दी थी.