पटना: गांव की सड़कों की गुणवत्ता जांच अब थर्ड पार्टी से करायी जायेगी. यह जांच संस्थागत तौर पर होगी. विभाग की ओर से लिये गये निर्णय के अनुसार सोमवार को एनआइटी, भागलपुर व मुजफ्फरपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसरों के साथ बैठक हुई. विभागीय मंत्री डॉ भीम सिंह की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इंजीनियरिंग कॉलेजों ने सैद्धांतिक तौर पर सड़कों की गुणवत्ता जांच करने पर अपनी सहमति दे दी. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और राज्य योजना से फिलहाल 20 हजार किमी सड़कों का निर्माण कार्य विभिन्न चरणों में है.
ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता को लेकर उठ रहे सवालों के बीच बिहार ने देश में पहली बार थर्ड पार्टी इंडीपेंडेंट इंस्टीट्यूशनल क्वालिटी सिस्टम अपनाने का निर्णय लिया है. बैठक में अभियंत्रण कॉलेज के प्रोफेसरों ने विभाग के इस प्रयास की जम कर सराहना की. साथ ही यह भी जानना चाहा कि सड़कों की गुणवत्ता जांच में उन्हें क्या करना होगा. विभाग ने आश्वास्त किया कि एक महीने के भीतर टर्म ऑफ रिफरेंस उपलब्ध करा दिया जायेगा. सड़कों की गुणवत्ता जांच के लिए अभी स्थानीय स्तर पर प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटिंग यूनिट है. इसके अलावा राज्य स्तर पर राज्य गुणवत्ता निगरानी टीम-एसक्यूएम है.
इस टीम पर नजर रखने के लिए भी विभाग की एक समिति बनी होती है. गुणवत्ता को बेहतर करने के उद्देश्य से ही ग्रामीण कार्य विभाग ने हर कार्य प्रमंडल में एसक्यूएम बहाल करने का निर्णय लिया है. अभी पांच दर्जन से अधिक एसक्यूम कार्यरत हैं. बैठक में सचिव डॉ बी राजेंदर, अभियंता प्रमुख धर्मदेव चौधरी, मुख्य अभियंता विश्वनाथ चौधरी, केएन प्रसाद, राजीव रंजन प्रसाद, एनआइटी के निदेशक प्रो अशोक डे, प्रो एके सिन्हा, प्रो निर्मल कुमार, प्रो मणिकांत मंडल आदि मौजूद थे.