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विधानसभा: सर्वदलीय बैठक पर हंगामा

पटना: राज्य सरकार द्वारा बुलाये गये सर्वदलीय बैठक को लेकर बिहार विधानसभा के दूसरी पाली में जम कर हंगामा हुआ. नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने आनन-फानन में सर्वदलीय बैठक कर विरोधी दल को अपमानित करने का आरोप लगाया. इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हस्तक्षेप करना पड़ा, तब जाकर मामला शांत हुआ. नीतीश कुमार ने […]

पटना: राज्य सरकार द्वारा बुलाये गये सर्वदलीय बैठक को लेकर बिहार विधानसभा के दूसरी पाली में जम कर हंगामा हुआ. नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने आनन-फानन में सर्वदलीय बैठक कर विरोधी दल को अपमानित करने का आरोप लगाया. इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हस्तक्षेप करना पड़ा, तब जाकर मामला शांत हुआ.

नीतीश कुमार ने कहा कि 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा से उत्पन्न स्थिति पर विमर्श के लिए यह सर्वदलीय बैठक बुलायी गयी है. सभी दलों के नेताओं को निमंत्रण दिया गया है. ऐसे में यह बैठक अपमानजनक कैसे हो सकती है. एक दिन में किसी मामले का कन्क्लूड थोड़े ही हो सकता है और ना ही किसी फैसले पर पहुंच जायेंगे. अगर भाजपा कागजात मांगेगी तो वित्त विभाग से उसे उपलब्ध करा दिया जायेगा. पहले बैठ कर बात होगी. इसमें हमने नेगेटिव या पॉजिटिव कुछ नहीं कहा. हमने क्या पाया, क्या खोया और अब क्या किया जा सकता है? इस पर बात होगी. उन्होंने कहा कि भाजपा को लगता है तो वह पुनर्विचार कर ले. अगर उन्हें यह समय सूट नहीं करता है, तो बताये बैठक के लिए कोई और डेट तय कर दिया जायेगा.

सीएम ने कहा कि भाजपा के लोग साथ काम कर चुके हैं. गुस्सा होकर बोलने की जरूरत ही क्या है. जो सरकार में है वही सर्वदलीय बैठक के लिए पहल करती है. इस समय हम सरकार में है, तो पहल कर रहे हैं. सदन के विश्वास पर सरकार चलती है. जब पक्ष-विपक्ष मेमोरेंडम साथ दे सकते हैं, तो पोस्ट मेमोरेंडम क्यों नहीं दे सकते. नेता प्रतिपक्ष के आरोप पर नीतीश कुमार ने कहा सर्वदलीय बैठक को लेकर न तो प्रिंट और न ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कोई अधिकृत सूचना दी गयी. यह खबर कैसे छपी यह पता नहीं. नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा कि सर्वदलीय बैठक की सूचना सरकार ने सुबह 11.30 बजे दी है, जबकि अखबारों में इसकी सूचना पहले प्रकाशित हो गयी. ऐसा कर सरकार ने विरोधी दल को अपमानित करने का काम किया है. हम बिहार के हित में कही भी जाने को तैयार हैं, लेकिन सूचना तो समय पर आनी चाहिए. सरकार की नीयत सही नहीं थी.

अगर नीयत सही होती तो पहले यह पेपर में नहीं छप जाता. नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि विशेष राज्य का दर्जा को लेकर भी सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलायी थी, लेकिन जदयू ने इसे अपना पर्सनल एजेंडा बना लिया. जदयू सिर्फ राजनीति करती है.

इस पर वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि यह बैठक केंद्र के खिलाफ आंदोलन थोड़े ही है. सम्मान के साथ बैठक में आये. चाय-कॉपी पिलायेंगे. जरूरत हुई तो नाश्ता भी देंगे. इस पर नेता प्रतिपक्ष भड़क गये. उन्होंने कहा कि चाय-नाश्ता के वे मोहताज नहीं है. वित्त मंत्री को हल्की बात करने की आदत हो चुकी है. सर्वदलीय बैठक का निमंत्रण का एजेंडा आना चाहिए था. किन-किन कारणों से घाटा हो रहा है यब बतानी चाहिए थी. नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री से मिल कर बात करनी चाहिए, लेकिन, वे प्रधानमंत्री से मिलना नहीं चाहते हैं.

प्रधानमंत्री से मिलने का अलग से नहीं मांगा समय : सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे 26 मार्च को होनेवाली बैठक से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए. उस दिन दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गंगा बेसिन अथोरिटी की बैठक बुलायी गयी है. इसमें पांच राज्यों (उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल) के मुख्यमंत्री शामिल होंगे. प्रधानमंत्री से मिलने का मैंने अलग से कोई समय नहीं मांगा है. विकास के मुद्दे पर केंद्र से क्यों नहीं बात करेंगे, जरूरत पड़ेगी तो करेंगे. 26 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से काफी देर बात हुई थी. केंद्रीय बजट के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री को सार्वजनिक रूप से बधाई भी दी. प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा. सर्वदलीय बैठक और 26 मार्च होनेवाली बैठक अलग विषय है उसे लिंक ना करें.

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