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बिजली टैरिफ बढ़ोतरी पर चेंबर व बीआइए का कोट

बिजली दर बढ़ने से लोगों पर बोझ बढ़ेगा ही. ऐसे में जब कोयला-पेट्रोल का दाम घट रहा है, बिजली दर बढ़नी नहीं चाहिए थी. लेकिन विद्युत विनियामक आयोग की भी मजबूरी है. बिजली कंपनी अपनी एफिशियंसी ठीक नहीं कर पा रही. जिस राज्य में टीएंडडी (ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रब्यिूशन) लॉस 44 फीसदी हो, वहां पर प्रोफिट […]

बिजली दर बढ़ने से लोगों पर बोझ बढ़ेगा ही. ऐसे में जब कोयला-पेट्रोल का दाम घट रहा है, बिजली दर बढ़नी नहीं चाहिए थी. लेकिन विद्युत विनियामक आयोग की भी मजबूरी है. बिजली कंपनी अपनी एफिशियंसी ठीक नहीं कर पा रही. जिस राज्य में टीएंडडी (ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रब्यिूशन) लॉस 44 फीसदी हो, वहां पर प्रोफिट कहां से आयेगा. कंपनी दिखाती है कि उनको घाटा हो रहा है जबकि सरकार उनको सब्सिडी भी दे रही है. टीएंडडी लॉस में सुधार की बहुत जरूरत है. -अरुण अग्रवाल, अध्यक्ष, बीआइए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयला एवं तेल की दरों में आयी कमी के फलस्वरूप विद्युत उत्पादन के खर्चों में कमी आयी है. इसलिए ऐसी आशा की जा रही थी कि बिहार विद्युत विनियामक आयोग जिस तरह से बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी एवं बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी के दरों में करीब आठ प्रतिशत की कमी की थी, उसी प्रकार साउथ बिहार पावर डिस्ट्रब्यिूशन कंपनी एवं नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रब्यिूशन कंपनी की दरों में भी कमी करेगी. यदि विद्युत दरों में कमी होती तो राज्य के उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलती और विकास की गति में तीव्रता आती. -ओपी साह, चेंबर ऑफ कॉमर्स

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