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बिहार को 50 हजार करोड़ का होगा नुकसान

पटना : बिहार के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने बुधवार को कहा कि केंद्र की नीतियों से बिहार को आर्थिक मोरचे पर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने सरकार की उपलब्धियां भी गिनायीं. साथ ही अपने अभिभाषण में […]

पटना : बिहार के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने बुधवार को कहा कि केंद्र की नीतियों से बिहार को आर्थिक मोरचे पर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने सरकार की उपलब्धियां भी गिनायीं. साथ ही अपने अभिभाषण में बिहार को केंद्र से मिल रही विशेष सहायता की समाप्ति की आशंका भी जतायी है.
भाजपा विधायक-विधान पार्षदों के पोस्टर विरोध के बीच राज्यपाल ने अपना अभिभाषण पढ़ा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव की मौजूदगी में करीब 1.08 घंटे में 24 पेजों के अभिभाषण में राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि 13 वें वित्त आयोग में बिहार का हिस्सा 10.92 प्रतिशत था, लेकिन 14 वें वित्त आयोग में यह हिस्सा घट कर 9.66 प्रतिशत हो गया है. यह बड़ी कटौती है. वित्त आयोग ने राज्य के क्षेत्रफल और वन क्षेत्र को मापदंड बनाया है, जबकि बिहार जैसे जनसंख्या घनत्व व लैंड लॉक राज्य की समस्याओं की अनदेखी की गयी है.
बिहार सरकार द्वारा
हरित आवरण को बढ़ाये जाने के प्रयास को प्रोत्साहित करने के बजाय उसकी उपेक्षा की गयी है. इसके अलावा हर साल आनेवाली बाढ़ से राज्य की सामाजिक व भौतिक आधारभूत संरचना की व्यापक क्षति और उसके वित्तीय बोझ को नजरअंदाज किया गया है.
राज्यपाल ने कहा कि समावेशी विकास की दृष्टि से बिहार को हर हाल में उसकी आबादी के अनुपात से अधिक राशि प्राप्त होनी चाहिए. 14 वें वित्त आयोग की सिफारिशों के कारण इस प्रक्षेत्रों के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी जानेवाली आर्थिक सहायता में काफी कटौती हो रही है. इस साल के बजट में केंद्र सरकार ने राज्य योजना के तहत चलनेवाली अधिकतर योजनाओं को बंद कर दिया है. इसके अलावा अधिकतर केंद्र प्रायोजित योजनाओं के बजट को काफी अधिक घटा दिया गया है. इन कटौतियों से अनुमान के अनुसार बिहार की कुल मिलनेवाली राशि में से 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि की कमी होगी.
अगले वित्तीय वर्ष (2015-16) से इस योजना को बंद कर दिया गया है, जिससे बिहार को मिल रही विशेष सहायता की समाप्ति की आशंका उत्पन्न हो गयी है. 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा राज्य के हक की लड़ाई के रास्ते को भी बंद कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से अपेक्षा है कि बिहार को जो विशेष सहायता मिल रही थी, वह मिलती रहे. साथ ही बिहार को मिलनेवाले हिस्से में की गयी कमी की भरपाई अलग से सहायता देकर की जाये. इसके अलावा राज्य के औद्योगीकरण के लिए केंद्रीय करों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से छूट की व्यवस्था बिहार के लिए की जाये.

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