पटना: राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि महागंठबंधन के लिए जीतन राम मांझी आवश्यक है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटा कर खुद मुख्यमंत्री बन गये हैं. आखिर क्या परिस्थिति आ गयी कि मांझी को हटाना पड़ा और नीतीश कुमार को प्रदेश की […]
पटना: राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि महागंठबंधन के लिए जीतन राम मांझी आवश्यक है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटा कर खुद मुख्यमंत्री बन गये हैं. आखिर क्या परिस्थिति आ गयी कि मांझी को हटाना पड़ा और नीतीश कुमार को प्रदेश की जनता से माफी मांगनी पड़ी.
यह तो आंशिक सुधार हुआ है. पूर्ण सुधार तब होगा जब जीतन राम मांझी को उप मुख्यमंत्री बना दे और मांझी गुट को फिर से बुला कर अपने साथ शामिल करें. महागंठबंधन में सभी सेकुलर वोटों की आवश्यकता है. उन्होंने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को गरीबों की रोटी छीननेवाला बताया है. उन्होंने कहा कि मनरेगा देश में अघोषित रूप से बंद है.
बिहार का ही मनरेगा मद का 1800 करोड़ रुपया बकाया है. इस तरह की स्थिति अन्य राज्यों में भी है. मनरेगा का पैसा ही राज्यों को न देंगे, तो भाषण छांटने से काम चलेगा. राजनीति में महात्मा गांधी ऑथोरिटी है. सत्य और अहिंसा उनका आदर्श था. छल और ट्रिक से देश में बड़ा काम नहीं हो सकता.
दुनिया का सबसे बड़ा फिनांशियल इन्क्लूजन था मनरेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसको कांग्रेस का पाप और गड्ढा बता रहे हैं. राजद के प्रदेश कार्यालय में सोमवार को संवाददाताओं से बातचीत में श्री सिंह ने बताया कि मनरेगा के माध्यम से देश के मजदूरों को पहली बार बारगेनिंग की क्षमता में वृद्धि हुई थी. जब इसे लागू किया गया, उस समय गुजरात में न्यूनतम मजदूरी 47 रुपये प्रतिदिन, बिहार में 60 रुपये प्रतिदिन और नागालैंड में 25 रुपये प्रतिदिन पगाड़ दी जाती थी. मनरेगा के कारण ही बिहार में न्यूतम मजदूरी 172 रुपये हो गयी है.
जनधन योजना का ढोल पीट रहे मोदी
नरेंद्र मोदी जनधन योजना का ढोल पीट रहे हैं. प्रधानमंत्री का दावा है कि देश में 12 करोड़ 54 लाख 73 हजार खाता खोला गया है. इसको लेकर लंबा-चौड़ा विज्ञापन का सहारा लिया गया. यूपीए की सरकार में बिना प्रचार के मनरेगा के तहत छह करोड़, 21 लाख 71 हजार लोगों का बैंकों में खाता खोला गया. जहां पर बैंक नहीं थे, वहां पर तीन करोड़ 91 लाख 74 हजार लोगों का पोस्टऑफिस में खाता खुला. इस प्रकार 10 करोड़, 13 लाख 71 हजार 723 लोगों का खाता यूपीए सरकार में खोला गया. प्रधानमंत्री जिस जन धन योजना के तहत 12 करोड़ खातों की चर्चा कर रहे हैं, उसमें 10 करोड़ यूपीए सरकार में ही खुल चुका है. जन धन योजना पूरी तरह से सूखी योजना है, जिसमें किसी के खाते में पैसा नहीं है, जबकि मनरेगा के तहत खोले गये खातों में आठ-नौ हजार करोड़ करोड़ रुपये जमा है.