पटना: जेल से छूटने के बाद पेशेवर अपराधियों की निगरानी पुलिस के लिए चुनौती बनती जा रही है. गैंग द्वारा जेल से निकलते ही रंगदारी, लूट और हत्याओं को अंजाम दिया जा रहा. लेकिन पुलिस का ढीला हो चुका नेटवर्क अपराधियों से पछाड़ खा रहा है. दरअसल क्राइम होने पर पुलिस अपराधियों को पकड़ कर जेल तो भेज रही है, लेकिन अनुसंधान में सुस्ती के कारण अपराधियों को सजा मिलने के बजाय जमानत मिल जा रही है. औसतन बेऊर जेल से रोज 10 से 15 आरोपितों को जमानत मिल रही है. इनमें पेशेवर अपराधी भी शामिल हैं.
थानों को नजर बनाये रखने की जरूरत : पुलिसिंग को दुरुस्त रखने के लिए शुरू से ही यह व्यवस्था रही है कि जिन अपराधियों को जमानत दी जाती है, उन पर संबंधित थाना नजर बनाये रखे. जेल से बाहर आने पर अपराधी कहां जाते हैं, किनसे मिलते हैं, उनकी किससे दुश्मनी या खतरा है, उनकी गतिविधियां क्या हैं, इस तरह के तमाम बिंदु निगरानी का हिस्सा है. लेकिन सिर्फ सर्विलांस द्वारा फोन टेप करने के अलावा पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है.
जिसमें मोबाइल मिला, उसी का हुआ खुलासा : पुलिस के पास सबसे सफल मात्र एक हथियार है सर्विलांस. जिस क्राइम की घटना में फोन का इस्तेमाल नहीं हुआ या फिर घटनास्थल से मोबाइल फोन नहीं मिला, उसका खुलासा पुलिस नहीं कर पा रही है. उदाहरण के तौर पर हेमा हत्याकांड, पूजा हत्याकांड तथा शास्त्रीनगर, राजीवगर में हुई लूट व डकैती हैं. इनमें पुलिस अब तक कुछ नहीं कर पायी है.
क्या कहते हैं एसएसपी साहब : इस संबंध में एसएसपी जितेंद्र राणा ने बताया कि ऐसी बात नहीं है, जेल से छूटने पर अपराधियों की निगरानी करायी जाती है. हां, मैन पावर की कमी है, लेकिन जो भी संसाधन हैं, उसमें काम हो रहा है.
ये अपराधी हैं जेल से बाहर
सूत्रों की मानें तो कुख्यात अपराधी अजय वर्मा, रवि मोड, तनवीर, मुमताज, छोटू, मस्तु, रजनी, राजेश पांडेय, लोथा गोप, विक्की सिंह जेल से बाहर हो चुके हैं. अजय वर्मा व रवि मोड गिरोह के बीच वर्चस्व की लड़ाई पहले भी चलती रही है. रवि मोड को दिल्ली और अजय वर्मा को कोलकाता से पुलिस ने गिरफ्तार किया था. खास बात यह है कि रवि मोड के गिरोह के अधिकतर अपराधी बाहर आ चुके हैं, जबकि अजय वर्मा गिरोह के कई सदस्य अभी जेल में ही बंद हैं. साथ ही शंकर राय व उसका पूरा गिरोह जेल से बाहर आ चुका था, जिसमें शंकर राय को पुलिस ने पिछले दिनों गिरफ्तार कर लिया. इतना ही नहीं कई हत्याकांड, लूट व बमबाजी मामलों का आरोपित रवि गोप 11 वर्षो से फरार है. सूत्रों की मानें तो वह अपने गैंग को लगातार ऑपरेट करता रहा है.