पटना: स्वस्थ परिवेश में ही बच्चों का भविष्य संवरता है. यदि व्यवस्था प्रतिकूल हुई तो बेहतर कैरियर की परिकल्पना साकार नहीं होगी. अभिभावक बच्चों को इस उम्मीद से स्कूल भेजते हैं कि वे वहां जाकर ज्ञानाजर्न करेंगे. अनुकूल परिवेश नहीं होने के कारण बच्चों का स्कूल जाने से इनकार करना और गये भी तो घंटों में ही लौट जाने की इच्छा. यह क्या इंगित करता है? ऐसा ही नजारा इंद्रपुरी प्राथमिक विद्यालय का है. जहां कचरे की बदबू से बच्चे इस कदर परेशान हैं कि वे स्कूल ही नहीं आते. आते भी हैं तो स्कूल में घंटों रहना उनके लिए असहज हो जाता है.
बदबू से नहीं खा पाते
स्कूल परिसर के पास ही कचरे का अंबार है. स्कूल किसी दूर गांव में नहीं, बल्कि राजधानी में है. इंद्रपुरी स्थित इस प्राइमरी स्कूल में 140 बच्चे नामांकित हैं, लेकिन रोजाना 50 से भी कम बच्चे आते हैं. आते भी हैं, तो जल्दी घर चले जाते हैं. शिक्षक भी नाक पर रूमाल रख कर बैठते हैं. ऐसे में वे बच्चों को स्कूल में रहने को विवश भी नहीं कर पाते. बदबू के कारण कई बार बच्चे उल्टी कर देते हैं. स्कूल में बच्चों की कम उपस्थिति के कारण अधिकतर मिड डे मील टिफिन लौट जाता है. जो बच्चे स्कूल में रहते हैं, वे भी बदबू के कारण खाना नहीं खा पाते. खास कर बारिश के मौसम में छात्रों को स्कूल आने में भी परेशानी होती है.
बच्चे कर चुके हैं रोड जाम
एक वर्ष से स्कूल परिसर के समीप कचरा फेंका जा रहा है. इसे लेकर बच्चों व अभिभावकों ने कई बार रैली निकाली व सड़क जाम किया, पर लाभ नहीं हुआ.