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मधेशी नेपाल के मूल निवासी : लाल बाबू राउत

— ए एन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान एवं जनमुक्ति विमर्श के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्ठीसंवाददाता,पटनामधेशी जन नेपाल के मूल निवासी हैं, लेकिन उनके साथ नेपाल में भेदभाव किया जाता है. नेपाल के शासकों के भेदभाव का सामना उन्हें आज भी करना पड़ता है. उन्हें भारत से गये लोगों के रूप में देखना सही नहीं है. […]

— ए एन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान एवं जनमुक्ति विमर्श के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्ठीसंवाददाता,पटनामधेशी जन नेपाल के मूल निवासी हैं, लेकिन उनके साथ नेपाल में भेदभाव किया जाता है. नेपाल के शासकों के भेदभाव का सामना उन्हें आज भी करना पड़ता है. उन्हें भारत से गये लोगों के रूप में देखना सही नहीं है. उक्त बातें नेपाल की संविधान सभा के सदस्य और मधेशी जनाधिकार मंच के उपाध्यक्ष लाल बाबू राउत ने कहीं. वह अनुग्रह नारायण समाज अध्ययन संस्थान एवं जनमुक्ति विमर्श के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. रविवार को आयोजित संगोष्ठी का विषय ‘पड़ोसी देश नेपाल में मधेशी जन ‘ था. राउत ने कहा कि मधेशी जन की संख्या नेपाल में 52 प्रतिशत है. ऐसे में नेपाल में मधेशी स्वायत प्रदेश को मान्यता मिलनी चाहिए. संगोष्ठी में अपनी बात रखते हुए नेपाल की संविधान सभा के पूर्व सदस्य राजकुमार शर्मा ने बताया कि मधेशी जनता को क्षेत्रीय आधार पर दबाया जाता है. वहीं नेपाल की संविधान सभा के पूर्व सदस्य मधेशी जन सम्मिलित नेपाल में संघीय राज्यों और स्वायत राज्यों के अलग-अलग संविधान की मांग करते हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डीएन दिवाकर ने कहा कि विश्व पूंजी के दौर में आज परिस्थिति समावेशी विकास के प्रतिकूल है, लेकिन राष्ट्र निर्माण में अंतिम जन को आगे रखें. मौके पर जनक प्रसाद, वर्षा जावलगेकर,सतीश कुमार,अख्तर हुसैन व रंजीव ने अपनी बातें रखीं.

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