हकीकत : साढ़े दस माह में ङ्म15,500 करोड़ जमा चुनौती : डेढ़ माह में ङ्म10,162 करोड़ की वसूली कौशिक रंजन, पटनाप्रदेश की मांझी सरकार राजनीतिक कामों में इतना उलझ गयी कि राजकाज के काम पीछे छूट गये. खर्च तो सरकार बराबर कर रही है, पर आमदनी की रफ्तार धीमी पड़ी है. इसका असर राज्य के खजाने पर भी दिखायी पड़ रहा है. टैक्स वसूली का काम सुस्त पड़ा हुआ है. हालत यह है कि चालू वित्तीय वर्ष खत्म होने में महज डेढ़ माह बचा है, जबकि टैक्स वसूली लक्ष्य से 40 % फीसदी पीछे है. सरकार ने 2014-15 में 25 हजार 662 करोड़ रुपये टैक्स वसूलने का लक्ष्य रखा है. अब तक महज 15 हजार 500 करोड़ रुपये (60 फीसदी) टैक्स का संग्रह हो पाया है. चिंता की बात यह है कि वसूली की जो रफ्तार है, उसमें टैक्स वसूली का लक्ष्य पाना मुमकिन नहीं दिखता है. इससे सरकारी खजाने में करीब 400 करोड़ कम आयेंगे. इस शॉर्ट-फॉल (टैक्स में कटौती) का असर योजनाओं के पूरे होने से लेकर वेतन भुगतान तक पर पड़ सकता है. वित्तीय मामलों के जानकारों का कहना है कि अगर स्थिति ऐसी ही रही, तो 28 फरवरी को सरकारी खजाने में मात्र 200-300 करोड़ रुपये बचेंगे.
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सुस्त गवर्नेंस, खाली होता खजाना
हकीकत : साढ़े दस माह में ङ्म15,500 करोड़ जमा चुनौती : डेढ़ माह में ङ्म10,162 करोड़ की वसूली कौशिक रंजन, पटनाप्रदेश की मांझी सरकार राजनीतिक कामों में इतना उलझ गयी कि राजकाज के काम पीछे छूट गये. खर्च तो सरकार बराबर कर रही है, पर आमदनी की रफ्तार धीमी पड़ी है. इसका असर राज्य के […]
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