अब नियम हो गया है कि एक करोड़ तक का लोन देने में किसी तरह की को-लैटरल सिक्योरिटी की जरूरत नहीं पड़ती है. मंत्री ने कहा कि पॉलिसी बनाना सरकार का विशेषाधिकार होता है. इसका पालन बैंकों को हर हाल में करना चाहिए. प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत हर परिवार का खाता खोलना लक्ष्य रखा गया है, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे नीचे तबके तक पहुंचाया जा सके. बैंकों से सवाल किया कि सरकारी नीति ज्यादा मजबूत हैं या आप? प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री गलत हैं और बैंक मैनेजर ही सही हैं? योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए व्यवहार और नजरिया बदलने की जरूरत है. इस मौके पर विकास आयुक्त एसके नेगी, कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश, उद्योग प्रधान सचिव रवि मित्तल, वित्त सचिव एचआर श्रीनिवास, ओएसडी अवधेश कुमार, निदेशक एमपी भगत, नाबार्ड जीएम समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे.
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लोन बांटने में किसी तरह की कोताही नहीं बरतें बैंक : भीम
पटना: राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में बैंकों की भूमिका बेहद अहम होती है, परंतु बैंक लोन देने और खाता खोलने में बेहद कोताही बरतते हैं. यह स्थिति हर हाल में सुधरनी चाहिए. यह हिदायत उद्योग मंत्री डॉ भीम सिंह ने राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की 51वीं त्रैमासिक बैठक में दी. उन्होंने कहा […]
पटना: राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में बैंकों की भूमिका बेहद अहम होती है, परंतु बैंक लोन देने और खाता खोलने में बेहद कोताही बरतते हैं. यह स्थिति हर हाल में सुधरनी चाहिए. यह हिदायत उद्योग मंत्री डॉ भीम सिंह ने राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की 51वीं त्रैमासिक बैठक में दी.
उन्होंने कहा कि बैंक आमलोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से छोटे-बड़े लोन मुहैया कराएं. इससे राज्य का विकास होगा. लोन बांटने में किसी तरह की कोताही नहीं बरतें. डूबे हुए ऋण की वसूली करने में सरकार बैंकों की मदद करेगी. बैंककर्मी छोटे लोगों को लोन देने में एनपीए (नन-परफॉमिर्ंग एसेट) का बहाना बनाते हैं, जबकि सेज के कारण बड़े-बड़े उद्योगपतियों के पांच लाख टैक्स माफ कर दिये गये. इन पर किसी का ध्यान नहीं गया.
15 बैंकों की उपलब्धि 50 फीसदी भी नहीं : चालू वित्तीय वर्ष खत्म होने में महज दो महीने बचे हुए हैं. फिर भी राज्य के 15 बैंकों की उपलब्धि लक्ष्य के 50 फीसदी भी नहीं है. इनमें वैश्य बैंक, येस बैंक, जम्मू और कश्मीर बैंक, कर्नाटक बैंक, साउथ इंडियन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, देना बैंक, सिंडिकेट बैंक, विजया बैंक, फेडरल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, पंजाब एंड सिंध बैंक, एसबीएच, ऑरियेंटल बैंक ऑफ कॉमर्स तथा आंध्रा बैंक शामिल हैं.
इन निजी बैंकों का भी प्रदर्शन खराब : आइसीआइसीआइ, एक्सिस, एचडीएफसी, इंडसइंड समेत अन्य.
पीएम-वित्त मंत्री से भी खुद को काबिल समझते हैं बैंक मैनेजर
मंत्री भीम सिंह ने बैंकों को हड़काते हुए कहा कि लोन देने के मामले में बैंक मैनेजर अपने को प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री से भी अधिक जानकार समझते हैं. उन्होंने कहा कि एक ही बैंक की अलग-अलग शाखाओं में अलग-अलग नियम होते हैं. इससे जुड़ी अपनी एक घटना को सुनाते हुए कहा कि उनकी पत्नी का बैंक खाता खुलवाने में जब परेशानी हुई, तो आम लोगों का क्या होता होगा? 42 लाख परिवारों का अब तक बैंक खाता नहीं खुला है. आजादी के बाद भी इतनी धीमी रफ्तार होना बेहद दुखद है.
न ऋण बांट रहे, न सीडी रेशियो सुधार रहे
एसएलबीसी की इस बैठक में यह बात सामने आयी कि बैंकों की शिक्षा, कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन, रोजगार समेत अन्य जन कल्याणकारी योजनाओं के तहत ऋण बांटने में पिछली बार से कुछ ज्यादा रुचि नहीं बढ़ी है. किसान व आम लोगों को बैंक आज भी समुचित लाभ नहीं दे रहे हैं. तमाम कोशिशों के बाद भी अब तक राज्य में बैंकों का सीडी रेशियो (कैश-डिपोजिट अनुपात) 42 प्रतिशत ही पहुंच पाया है. निजी बैंकों की हालत में इसमें कुछ ज्यादा ही खराब है. वे सरकारी योजनाओं में नहीं के बराबर ऋण देते हैं. सीडी रेशियो नहीं सुधर रहा है.
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