मरकरी के उत्पादों को खत्म करने के लिए चलाया जाये जागरूकता अभियानसंवाददाता, पटनाटॉक्सिक लिंक, नयी दिल्ली के एसोसिएट डायरेक्टर सतीश सिन्हा ने कहा कि सूबे के किसी मेडिकल कॉलेज या अस्पताल में मेडिकल कचरा को अलग-अलग करने की व्यवस्था नहीं है. मेडिकल कचरा को अलग-अलग नहीं करने के कारण मेडिकल कचरा भी सामान्य कचरा हो जाता है, जो काफी खतरनाक है. श्री सिन्हा सोमवार को टॉक्सिक लिंक, सीडान और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पार्षद द्वारा ‘ मरकरी व बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट ‘ विषय पर आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि मेडिकल कचरा को अलग-अलग करने के लिए प्रशिक्षण के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है. इसके साथ ही मेडिकल कॉलेज व अस्पताल से निकलनेवाले कचरे की प्रॉपर निगरानी हो. वर्तमान समय में निगरानी करने के लिए कई तरह की तकनीक है, जिसका उपयोग किया जा सकता है. आने वाले समय में मरकरी के उत्पादों को कैसे खत्म किया जाये, इसको लेकर अभी से काम करने की जरूरत है. अध्यक्षता करते हुए पार्षद के चेयरमैन डॉ सुभाष चंद्र सिंह ने कहा कि मरकरी का जितना कम से कम उपयोग हो, वह पर्यावरण के लिए अच्छा है. जिला व प्रखंड स्तर पर जागरूकता अभियान चला कर इससे होनेवाले नुकसान को बताना होगा. प्रदूषण किसी एक व्यक्ति, संस्था या राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि विश्व की समस्या है. इसको लेकर हम सब को मिल कर काम करना होगा. परिचर्चा में आये लोगों को स्वागत अमिया रंजन ने किया. मौके पर डॉ नवीन कुमार, राजीव कुमार, कनकना दास और राकेश शरण आदि लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये.
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मेडिकल कचरा नहीं किया जा रहा अलग-अलग
मरकरी के उत्पादों को खत्म करने के लिए चलाया जाये जागरूकता अभियानसंवाददाता, पटनाटॉक्सिक लिंक, नयी दिल्ली के एसोसिएट डायरेक्टर सतीश सिन्हा ने कहा कि सूबे के किसी मेडिकल कॉलेज या अस्पताल में मेडिकल कचरा को अलग-अलग करने की व्यवस्था नहीं है. मेडिकल कचरा को अलग-अलग नहीं करने के कारण मेडिकल कचरा भी सामान्य कचरा हो […]
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