पटना: केंद्र सरकार ने योजना आयोग को भंग कर ‘नीति आयोग’ का गठन किया है. इसकी पहली बैठक 8 फरवरी को दिल्ली में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होगी. आयोग में सूबे के मुख्यमंत्री व वित्त मंत्री भी हैं. नीति आयोग की पहली बैठक में बिहार विशेष राज्य का दर्जा देने समेत अन्य अपेक्षाओं को मजबूती से रखेगा.
राज्य एक तरफ इस नये नीति आयोग का समर्थन करते हुए मानता है कि पिछले 64 वर्षो के अस्तित्व में मूल उद्देश्य विशेष कर क्षेत्रीय विषमताओं को घटाने, आम जनता को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने और मानव विकास की गति को तेज करने में सफलता नहीं मिली है. ऐसी स्थिति में नये नीति आयोग का गठन उचित है. दूसरी तरफ राज्य के समुचित विकास में नीति आयोग सहभागी बने. इसके लिए कुछ अहम बातों को मानने का अनुरोध भी किया है.
राष्ट्रीय औसत और बिहार की बढ़ती गयी खाई : बिहार कई कारणों से विकास के सभी सूचकांक में न्यूनतम स्तर पर रहा है. विभिन्न वित्त आयोग और योजना आयोग की अनुशंसा के आधार पर जो आवंटन किये गये हैं. उसके विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि राष्ट्रीय औसत और बिहार की स्थिति के बीच की खाई लगातार बढ़ती गयी. प्रति व्यक्ति आवंटन गरीब और कमजोर राज्यों में अपेक्षाकृत कम हुआ है. केंद्रीय योजनाओं के तहत विभिन्न मंत्रलयों के किये गये निवेश के आंकड़ों को जोड़ने पर ज्यादा निराशाजनक स्थिति उभरती है. इसका मुख्य कारण योजनाओं को पूरा करने या आवंटन प्राप्त करने के लिए जो शर्त दी जाती है. वह काफी कठिन होती है. कृषि और नुरूम इसके उदाहरण हैं. किसी योजना में ऐसी कोई शर्त नहीं होनी चाहिए.
बिहार देगा सुझाव
केंद्रीय योजना या केंद्र प्रायोजित योजना की संख्या कम-से-कम हो
राष्ट्रीय प्राथमिकता के साथ हाशिये पर पड़े लोगों को मुख्य धारा में लाने की पहल हो
मुख्यमंत्रियों की परिषद का गठन अच्छी पहल, लेकिन एक स्वशासी सक्षम संस्था भी बने
राज्यों को मध्यम और दीर्घकालीन विजन दें, निजी और सरकारी सेक्टर का ब्लू प्रिंट तैयार करें
स्वशासी संस्थान के विचारों को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित सीएम की परिषद में पेश किया जाये
विजन के अनुमोदन के बाद विभिन्न मंत्रलयों में स्कीम तैयार करने के लिए भेज दिया जाये
राज्यों की आर्थिक,तकनीकी,भौतिक और सामाजिक मूलभूत संरचना का आकलन हो
नीति आयोग को एक फ्रेम वर्क तैयार करना चाहिए,ताकि लक्ष्य हासिल हो सके
बिहार को क्षमता संवर्धन या कौशल विकास में सबसे ज्यादा सहयोग मिले
बीआरजीएफ के तहत आवंटन हर साल पूरा मिले, कटौती या रोका नहीं जाये