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लक्ष्य 20 लाख टन का, मगर खरीद 1.51 लाख टन की ही

31 जनवरी ही थी धान खरीद की अंतिम तिथि पटना : राज्य में 20 लाख टन धान खरीद के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक मात्र 1 लाख 51 हजार टन धान की ही खरीद हुई है. आंकड़ा भारतीय खाद्य निगम ने उपलब्ध कराया है. निगम ने कहा कि 31 जनवरी तक ही धान की खरीद […]

31 जनवरी ही थी धान खरीद की अंतिम तिथि
पटना : राज्य में 20 लाख टन धान खरीद के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक मात्र 1 लाख 51 हजार टन धान की ही खरीद हुई है. आंकड़ा भारतीय खाद्य निगम ने उपलब्ध कराया है.
निगम ने कहा कि 31 जनवरी तक ही धान की खरीद होनी थी. एफसीआइ ने कहा कि राज्य के किसानों के हित में बिहार सरकार को धान खरीद की अवधि बढ़ाने के लिए जिलावार धान खरीद का कार्यक्र म भेजने के लिए क हा गया था. देश में धान की खरीद का कार्य व्यापक पैमाने पर हुआ है. 30 जनवरी 2015 तक 271 लाख 45 हजार टन धान की खरीद हुई. इसमें पंजाब में 116 लाख 14 हजार टन, छत्तीसगढ़ में 46 लाख 80 हजार टन व हरियाणा में 29 लाख 78 हजार टन धान की खरीद हो चुकी है. एफसीआइ का कहना है कि बिहार सरकार द्वारा अभी तक किया गया कुल दावा 2428.72 करोड़ रु पये का है. वस्तुस्थिति यह है कि इसमें से 14 करोड़ 61 लाख का दावा पिछले वर्ष 2013-14 की अंतिम तिमाही का है.
इसमें अनुमान्य दावा 14 करोड़ 40 लाख का है, जिसे स्वीकृत कर राज्य को भेज दिया गया है. 2014-15 में राज्य सरकार द्वारा 2414.11 करोड़ रु पये का दावा भेजा गया है. इनमें मात्र 426 करोड़ रु पये का दावा सही पाया गया,जिसके विरु द्ध 329.60 करोड़ रु पये राज्य सरकार को भेजे जा चुके हैं. शेष 1985.07 करोड़ रु पये का दावा त्रुटिपूर्ण तथा अपूर्ण है. इसके लिए राज्य सरकार को सुधार कर दावा भेजने के लिए कहा गया है. इसलिए मात्र 92 करोड़ 40 लाख केंद्र के पास लंबित हैं, जिसे शीघ्र ही भेज दिया जायेगा. राज्य सरकार द्वारा अभी 1985.07 करोड़ रु पये का बिल सही रूप में सुधार करके भेजा जाना शेष है. एफसीआइ ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि वह दावे को सही कर जल्दी भेजें.
डीसीपी राज्य धान खरीदते हैं और उसे चावल मिलों को देते हैं. चावल मिलें धान को सीएमआर बना कर राज्य एजेंसियों को देती हैं. यहां तक के कार्य के लिए राज्य सरकार द्वारा अपना पैसा लगाया जाता है अथवा एक तिमाही के प्रारंभ में केंद्र से इस कार्य के लिए अग्रिम लेने का भी प्रावधान है. राज्य एजेंसियां मिलों से प्राप्त चावल को उचित दर दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं में वितरण के लिए उपलब्ध कराती हैं. जब राज्य एजेंसियों के गोदामों से उचित दर दुकानों के लिए चावल का उठान होता है, तो उसकी मात्र के विरुद्ध केंद्र खाद्य सब्सिडी राज्यों को देता है.

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