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पांच साल में तीन गुना बढ़ा बिहार का बजट, 1.40 लाख करोड़ का अगला बजट

पटना: बिहार का अगले वित्तीय वर्ष (2015-16) का बजट 1.40 लाख करोड़ का होगा. राज्य सरकार 25 फरवरी को विधानमंडल में बजट पेश करेगी. योजना आकार करीब 73 हजार और गैरयोजना आकार करीब 67 हजार करोड़ होने की संभावना है. चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 के बजट की तुलना में नया बजट करीब 23 हजार करोड़ […]

पटना: बिहार का अगले वित्तीय वर्ष (2015-16) का बजट 1.40 लाख करोड़ का होगा. राज्य सरकार 25 फरवरी को विधानमंडल में बजट पेश करेगी. योजना आकार करीब 73 हजार और गैरयोजना आकार करीब 67 हजार करोड़ होने की संभावना है. चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 के बजट की तुलना में नया बजट करीब 23 हजार करोड़ ज्यादा का होगा. बजट आकार में करीब 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. पिछले पांच साल में बजट आकार में करीब पौने तीन गुनी की बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2010-11 में राज्य का बजट 51 हजार करोड़ का था.
तैयारी लगभग पूरी
नये बजट की तैयारी के लिए वित्त विभाग की कसरत अंतिम चरण में चल रही है. योजना एवं विकास विभाग ने भी तमाम विभागों से बैठक कर योजनाओं की समीक्षा तकरीबन कर ली है. हालांकि अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि नये वित्तीय वर्ष में कागज में पड़ी रही योजनाएं बंद होंगी या नहीं. सूबे के 39 प्रमुख विभागों में केंद्र और राज्य की 767 योजनाएं स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें 86 योजनाओं के लिए चालू वित्तीय वर्ष में कोई आवंटन नहीं मिला. इस वजह से ये योजनाएं सरजमीं पर उतर ही नहीं पायी हैं. इनकी कटौती करने पर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है.
यहां से आयेंगे रुपये
बजट का आकार इतना बड़ा होने से एक बात स्पष्ट है कि राजस्व के स्नेतों में भी बढ़ोतरी हुई है. इस साल अब तक टैक्स और नॉन टैक्स स्नेत से 25,662 करोड़ रुपये प्राप्त होने का लक्ष्य रखा गया है. पिछले साल की तुलना में यह 28.57 प्रतिशत ज्यादा है. अभी तक निर्धारित लक्ष्य का करीब 85 फीसदी प्राप्त हो चुका है. इसमें सबसे ज्यादा राजस्व वाणिज्यकर से 8674 करोड़ प्राप्त हुआ है. इसके बाद उत्पाद से 2246 करोड़, स्टांप एवं निबंधन से 2009 करोड़ और ट्रांसपोर्ट से 677 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा करीब 41 हजार करोड़ राज्य को केंद्रीय टैक्स से शेयर प्राप्त होगा. इस तरह टैक्स और नॉन टैक्स को मिला कर करीब 87 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे. केंद्रीय ग्रांट से इस बार करीब 33 हजार करोड़ और ग्रॉस बौरो (राज्य जीडीपी का तीन प्रतिशत) से 13 हजार करोड़ मिलने की उम्मीद है. इस तरह राज्य पैसे का इंतजाम करेगा.
बजट आकार बढ़ने का मतलब यह
बजट आकार बढ़ने का सीधा मतलब है कि राज्य वित्तीय स्तर पर सशक्त बन रहा है. जनकल्याण से जुड़ी नयी योजनाओं को शुरू करने की क्षमता बढ़ी है. साथ ही पुरानी योजनाओं की गति में भी सुधार आया है. योजना आकार बढ़ने का मतलब है, विकास से जुड़े कार्य मसलन सड़क निर्माण, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल समेत मूलभूत जरूरतों पर खास ध्यान देना. अगर योजनाएं सही से चलें, तो आम लोगों को रोजगार और मूलभूत सुविधाएं आसानी से मयस्सर हो सकेंगी. गैर-योजना मद में मुख्य रूप से वेतन, पेंशन, मरम्मति से जुड़े कार्य, ब्याज के लिए पेमेंट करना आता है. हर साल राज्य सरकार करीब छह हजार करोड़ रुपये ऋण के रूप में अदा करती है. इसके अलावा करीब 2400 करोड़ बिजली सब्सिडी के रूप में शॉर्ट फाल के तौर पर जाता है. गैर-योजना मद बढ़ने का एक मतलब यह भी है कि वेतन और अन्य कार्य बढ़े हैं. इसमें कर्मचारियों की संख्या का बढ़ना भी शामिल होता है.
केंद्रीय कटौती से हो रही परेशानी
राज्य के विभिन्न विभागों में करीब 60 योजनाएं हैं, जिनके लिए केंद्र सरकार से ग्रांट मिलता है. कुछ में 75 प्रतिशत, तो कुछ में 100 प्रतिशत अनुदान केंद्र सरकार से मिलता है. इस साल 27 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने के लिए निर्धारित किया गया है, लेकिन अभी तक केंद्र से 14,300 करोड़ रुपये ही आये हैं. 12,700 करोड़ रुपये लक्ष्य से कम आये हैं. वित्तीय वर्ष के अंत में रुपये आने से ये योजनाओं पर समुचित रूप से खर्च नहीं हो पाते और लौट जाते हैं. इस तरह के शॉर्ट फाल या आवंटन जारी करने में देरी होने से विकासात्मक योजनाएं सुचारु ढंग से नहीं चल पाती हैं. बिजली, सड़क, पेयजल, शौचालय, इंदिरा आवास समेत अन्य महत्वपूर्ण योजनाएं पूरी नहीं हो पातीं.

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