पटना. संविधान के 73वें संशोधन के बाद पंचायती राज कानून 2006 के तहत बिहार में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गयी. पंचायत स्तर पर ग्रामसभा के माध्यम से योजना निर्माण के लिए ग्राम पंचायत तथा स्थानीय विवादों को निबटाने के लिए ग्राम कचहरी का गठन किया गया, लेकिन ग्राम कचहरी की जो भूमिका होनी चाहिए, वह नहीं हो पायी है. कोर्ट में हजारों मामले न्याय की आस में अटके पड़े हैं. इसके लिए सरकार को सकारात्मक पहले करने की आवश्यकता है. कोशिश चैरिटेबल ट्रस्ट और ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में सामाजिक-आर्थिक न्याय: स्थानीय न्याय प्रणाली और ग्राम कचहरी की भूमिका पर परिचर्चा के दौरान उपरोक्त बातें समेकित रूप से वक्ताओं ने कही. परिचर्चा में स्थानीय न्याय प्रणाली की पृष्ठभूमि, बिहार का संदर्भ और अध्ययन की पृष्ठभूमि पर खास चर्चा की गयी. इसके साथ ही बिहार, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश पर वहां के विशेषज्ञों ने उदाहरण के साथ न्याय प्रणाली में ग्राम कचहरी की भूमिका के बारे में बताया. मौके पर विभिन्न राज्यों में स्थानीय न्याय प्रणाली की व्यवस्था पर भी विमर्श किया गया. परिचर्चा में विभिन्न प्रदेशों से विशेषज्ञ भी पहुंचे थे.
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न्याय दिलाने में ग्राम कचहरी की भूमिका महत्वपूर्र्ण
पटना. संविधान के 73वें संशोधन के बाद पंचायती राज कानून 2006 के तहत बिहार में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गयी. पंचायत स्तर पर ग्रामसभा के माध्यम से योजना निर्माण के लिए ग्राम पंचायत तथा स्थानीय विवादों को निबटाने के लिए ग्राम कचहरी का गठन किया गया, लेकिन ग्राम कचहरी की जो भूमिका होनी […]
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