पटना: विधानमंडल का मॉनसून सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है. इसमें कुल छह बैठकें होंगी. सत्र के सफल संचालन के लिए प्रशासनिक व विधायी कार्य को निबटाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. सत्र के दौरान विभिन्न संगठनों के धरना-प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए विधानमंडल इर्द-गिर्द निषेधाज्ञा लागू कर दिया गया है. सुरक्षा के मद्देनजर बड़ी संख्या में दंडाधिकारी के नेतृत्व में सुरक्षा बलों को प्रतिनियुक्त किया जा रहा है.
पहली बार विपक्ष में भाजपा
इधर, मॉनसून सत्र के कई मायनों में हंगामेदार होना तय है. विश्वासमत का लेकर लेकर 19 जून को संपन्न हुए विशेष सत्र के बाद पहली बार भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका में नजर आयेगी. सत्र के दौरान विपक्षी पार्टियां बगहा गोलीकांड, महाबोधि मंदिर पर आतंकी हमला व मशरक में विषाक्त भोजन से 23 बच्चों की मौत को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास करेगी. साथ ही सदन में सीएजी की रिपोर्ट में मनरेगा घोटाला, बियाडा भूमि आवंटन घोटाला, विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति में हुई अनियमितता को लेकर तैयार की गयी विशेष रिपोर्ट को पेश किया जाना है. इस मुद्दे को लेकर हंगामा होना तय है.
विभाजित विपक्ष का लाभ
शुक्रवार से शुरू हो रहे विधानमंडल के मॉनसून सत्र में सरकार को विपक्ष के तीखे सवालों से जूझना होगा. यह पहला मौका है, जब सत्तापक्ष को मजबूत विपक्ष की घेराबंदी का सामना करना होगा. भाजपा-राजद समेत विपक्षी दल कॉमन एजेंडा के जरिये सरकार की घेरांबदी करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे, लेकिन कई ऐसे मौके आयेंगे, जिसमें विपक्ष बंटा नजर आयेगा. इसका लाभ सत्ता पक्ष को मिलेगा. राजद विधायक दल के मुख्य सचेतक सम्राट चौधरी के अनुसार राजद, कांग्रेस व लोजपा एकजुट होकर बगहा गोलीकांड, महाबोधि मंदिर पर आतंकी हमला व मशरक में विषाक्त भोजन से 23 बच्चों की मौत को प्रमुखता से उठायेंगे. वहीं, खगड़िया में सामाजिक तनाव में पांच दुकानें जलाये जाने को लेकर सरकार की मंशा पर भी सवाल उठायेंगे. चौधरी का कहना है कि 29 जुलाई को राजद विधायक दल की बैठक होगी, जिसमें सदन में अपनायी जानेवाली रणनीति तय होगी.
राजद की नजर में भाजपा व जदयू अब भी एक हैं. इस लिहाज से वह सदन में एकला चलो की नीति पर चलने का काम करेंगे. विश्वासमत के दौरान राजद ने इसी नीति का पालन करते हुए सरकार के विपक्ष में मतदान किया था. भाजपा ने विश्वासमत का विरोध करते हुए मतदान में भाग नहीं लिया था. इधर, सरकार का भी प्रयास होगा कि सदन के अंदर विपक्ष बंटा रहे, ताकि उसे कामकाज निबटाने में मदद सहूलियत हो. हालांकि, विपक्ष द्वारा उठाये जानेवाले सवालों का जवाब देने की भी रणनीति सरकार की ओर से तय की जा रही है. पहले सुशील मोदी विपक्ष के हमलों का जवाब देते थे और अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी व संसदीय कार्य मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव मोरचा संभालेंगे. बहरहाल, इस बार का मॉनसून सत्र का नजारा कई मायने में अलग दिखेगा.