Advertisement
बूटन सिंह हत्याकांड : पांच अभियुक्त दोषी करार, तीन बरी
अदालत में पेशी के दौरान हुई थी हत्या, दो साल से जेल में थे बंद पटना : पटना के एडीजे तीन रविशंकर श्रीवास्तव ने शुक्रवार को बूटन सिंह हत्याकांड मामले में पांच अभियुक्तों को दोषी पाते हुए सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 17 जनवरी की तारीख निश्चित की है. जिन पांच अभियुक्तों को […]
अदालत में पेशी के दौरान हुई थी हत्या, दो साल से जेल में थे बंद
पटना : पटना के एडीजे तीन रविशंकर श्रीवास्तव ने शुक्रवार को बूटन सिंह हत्याकांड मामले में पांच अभियुक्तों को दोषी पाते हुए सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 17 जनवरी की तारीख निश्चित की है.
जिन पांच अभियुक्तों को दोषी पाया गया, उनमें राघवेंद्र नारायण सिंह उर्फ लल्लू सिंह, विजय सिंह, विपिन कुमार उर्फ डब्ल्यू यादव, पूर्व जिला पार्षद राम नारायण यादव उर्फ रामा यादव व पूर्व मुखिया निशिकांत यादव उर्फ निशि यादव शामिल हैं. वहीं अदालत ने राजद के पूर्व विधायक दिलीप कुमार यादव, पूर्व जिला पार्षद मनोज कुमार यादव व विक्रम उर्फ संजय यादव को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया.
अदालत ने दोषी पांच अभियुक्तों को भादवि की धाराएं 302/34 व 27 आर्म्स एक्ट में आरोप सिद्ध पाया. विदित हो कि समाज कल्याण मंत्री लेसी सिंह के पति बूटन सिंह की हत्या 19 अप्रैल, 2000 को अज्ञात हमलावरों द्वारा उस समय कर दी गयी, जब उन्हें एक मामले में पूर्णिया व्यवहार मामले में सीजीएम अदालत में पेश करने के लिए ले जाया जा रहा था. छह-सात अभियुक्तों ने कोर्ट के मुख्य द्वार पर उनको गोली मार कर हत्या कर दी थी. वे पिछले दो साल से जेल में बंद थे.
उन पर दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज थे. गोलीबारी में बूटन सिंह का साला संजय सिंह भी घायल हुए थे. हत्याकांड में पूर्णिया के खजांची हाट थाने में हवलदार जयजय राम कुंवर की सूचना पर छह-सात अज्ञात अभियुक्तों के खिलाफ खजांची हाट थाने में कांड 112/2000 दर्ज किया गया था.
वारदात के दूसरे दिन 20 अप्रैल, 2000 को संजय सिंह द्वारा खजांची हाट थाने में कांड संख्या 117/2000 दर्ज कराया गया. बाद में उक्त मामले को 28 जून, 2001 की अधिसूचना के आधार पर सीबीआइ ने छह जुलाई 2001 को दो अलग-अलग मामले दर्ज किये, जिनमें खजांची हाट 112 की जगह 9 (एस)/ 2001 एवं 117/ 2000 की जगह 10 (एस)/2001 दर्ज कर अनुसंधान प्रारंभ किया था. मालूम हो कि सीबीआइ ने अनुसंधान के क्रम में वर्तमान मंत्री लेसी सिंह व संजय सिंह के दिये गये आवेदन पर कांड संख्या 10 (एस)/2000 को बंद कर दिया था. नामित सभी अभियुक्तों का हाथ नहीं होने पर उसमें क्लोजर रिपोर्ट दी गयी थी.
सीबीआइ ने दस को बनाया था अभियुक्त
अनुसंधान के पश्चात सीबीआइ ने पांच फरवरी, 2004 को दिलीप कुमार यादव, असीम कुमार उर्फ डिंपल मेहता, राघवेंद्र नारायण सिंह उर्फ लल्लू सिंह, प्रीतम कुमार उर्फ लड्डू सिंह, मनोज यादव, विजय सिंह यादव, विपिन कुमार उर्फ डब्ल्यू यादव, निशिकांत यादव एवं राम नारायण यादव उर्फ रामा यादव के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. 21 अक्तूबर, 2004 को सीबीआइ ने एक पूरक आरोप पत्र विक्रम उर्फ संजय यादव के खिलाफ दाखिल किया था. इस प्रकार सीबीआइ ने कुल दस लोगों को मामले में अभियुक्त बनाया था.
आठ पर आरोप गठन कर हुई सुनवाई
अदालत में कुल आठ अभियुक्तों के खिलाफ 4 मई, 2007 को आरोप का गठन कर मामले की सुनवाई की गयी, जो लगभग साढ़े सात साल से अधिक चली. इसमें सीबीआइ ने 50 गवाहों की गवाही करायी. मामले में गवाह संख्या पंद्रह संजय सिंह (बूटन सिंह का साला) व मृतक की पत्नी मंत्री लेसी सिंह की गवाही प्रमुख थी.
मामले के दो अभियुक्त असीम कुमार उर्फ डिंपल मेहता एवं प्रीतम कुमार उर्फ लड्डू सिंह के खिलाफ सुनवाई नहीं की जा सकी. विचारण के दौरान ही प्रीतम कुमार सिंह उर्फ लड्डू सिंह की मौत हो गयी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement