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प्रथम प्रधानमंत्री के गांव में न अस्पताल, न सड़क

पटना/नौबतपुर: प्रखंड मुख्यालय से 15 किमी की दूरी पर स्थित है पनहारा गांव. विकास से कोसों दूर. यह वही गांव है, जहां बिहार के प्रथम प्रधानमंत्री मो युनूस का जन्म हुआ था. इस गांव में न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार की योजनाएं पहुंच पायी हैं. ग्रामीण मुश्ताक अहमद ने बताया कि इनके […]

पटना/नौबतपुर: प्रखंड मुख्यालय से 15 किमी की दूरी पर स्थित है पनहारा गांव. विकास से कोसों दूर. यह वही गांव है, जहां बिहार के प्रथम प्रधानमंत्री मो युनूस का जन्म हुआ था. इस गांव में न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार की योजनाएं पहुंच पायी हैं. ग्रामीण मुश्ताक अहमद ने बताया कि इनके परिवार का कोई सदस्य अब यहां नहीं रहता है. सभी पटना व विदेश में रहते हैं. गांव के ही पन्नू लाल यादव ने बताया कि गांव में सिर्फ प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था है, जबकि स्कूल के पास 14 बीघा जमीन है.

सरकार अगर चाहे, तो इस जमीन पर उच्च विद्यालय व महाविद्यालय खुलवा सकती है. वहीं, ग्रामीण मोहन सिंह ने कहा, ‘हमरा गांव के साहेब लोग मंत्री आउर बैरिस्टर हलथीन, लेकिन इहां न त अस्पताल हई, न सड़क. ग्रामीणों ने कहा कि 1932 में युनूस साहब प्रधानमंत्री बने थे. उस समय अंगरेजों का शासन था. गांव के लिए विकास काम किये. लेकिन, उनके बाद गांवों का विकास ठप पड़ गया. ग्रामीणों का कहना है कि अगर बैरिस्टर साहब या प्रधानमंत्री साहब के परिवार के लोग महीना में एक-दो दिन समय दें, तो गांव का विकास अवश्य होगा.

नौबतपुर के निवासी थे
बिहार प्रोविंस के पहले प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस पटना जिले के नौबतपुर इलाके के पनहारा गांव के निवासी थे. उनका जन्म 4 मई, 1884 को हुआ था. पिता मौलवी अली हसन वहां के जमींदार थे. यूनुस की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई. मैट्रिक की परीक्षा उन्होंने पटना कॉलेजिएट स्कूल से पास की.

यह स्कूल उस समय एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान था. वे 1903 में पढ़ने के लिए इंगलैंड गये और छह मई, 1903 को सोसायटी ऑफ मिडल टेंपल के सदस्य बने. जनवरी, 1906 में लंदन हाइकोर्ट के बैरिस्टर नियुक्त हुए. अप्रैल, 1906 में भारत आने पर बंगाल हाइकोर्ट में उन्होंने अपना योगदान दिया. कुछ दिनों के बाद वे पटना चले आये और जिला न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की. वे डुमरांव राज के मामले में प्रिवी काउंसिल में उपस्थित हुए. 1904 से 1944 तक वे वकालत के पेशे से जुड़े रहे.

1906 में राजनीति से जुड़े
1906 में उन्होंने राजनीतिक व सामाजिक जीवन आरंभ किया. उसी साल इंडियन नेशनल कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में हिस्सा लिया. इसके बाद 1908 के लाहौर अधिवेशन में भाग लिया. वे मुसलिम लीग के सचिव बने और कोलकाता में लार्ड मिंटो से मुलाकात कर मार्ले-मिंटो सुधार से संबंधित प्रस्ताव भी पेश किया. यूनुस ने पटना नगर निगम में तीन बार नगर पिता के रूप में अपनी सेवाएं दीं. इस दौरान उन्होंने सुधार के कई कार्य किये. 1916 में मौलाना मजहरूल हक के स्थान पर वे इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य चुने गये. 1921 में वे बिहार एवं ओड़िशा प्रोविंसियल काउंसिल के सदस्य चुने गये. 1945 तक वे इस पद पर रहे. 1924 में उन्होंने पटना से ‘पटना टाइम्स’ नामक साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन शुरू किया. बाद में इसने दैनिक का रूप ले लिया. बिहार प्रोविंसियल को-ऑपरेटिव बैंक के निदेशक व बैंक ऑफ बिहार के निदेशक भी रहे. उन्होंने ओरिएंट बैंक ऑफ इंडिया लिमिटेड की स्थापना की.

1936 में बिहार मुसलिम इंडिपेंडेंट पार्टी व प्रोविंस में पहली सरकार बनायी.1937 में यूनुस बिहार प्रोविंस के पहले प्रधानमंत्री बने. वे ऑल इंडिया मेल मिलाप एसोसिएशन व ओटी रेलवे मेंस यूनियन के अध्यक्ष भी थे. वे बिहार फ्लाइंग क्लब के उपाध्यक्ष भी रहे. उनके प्रयास से ही उर्दू को सरकारी कामकाज की भाषा का दर्जा मिला. 13 मई, 1952 को मुहम्मद यूनुस का निधन हो गया.
(रिपोर्ट के तथ्य,सदस्य परिचय, बिहार विधान परिषद से साभार

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