पटना: राज्य में प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत बैंक खाता खुलने की रफ्तार काफी तेज है, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में निर्धन और गरीब की पहुंच से यह योजना दूर है. इसकी मुख्य वजह बैंकों की पहुंच सुदूर ग्रामीण इलाकों तक नहीं होना. कई दूर-दराज क्षेत्रों से बैंकों की दूरी बेहद ज्यादा होने के कारण इन इलाकों के आर्थिक रूप से कमजोर लोग बैंक तक नहीं पहुंच पाते हैं. इस कारण से 26 जनवरी तक सभी परिवारों का बैंक खाता खोलने का लक्ष्य पूरा होने की संभावना नहीं दिख रही है.
इस मामले में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने केंद्रीय वित्त सचिव को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने इस योजना के क्रियान्यवन में तेजी लाने के लिए बिहार सरकार द्वारा उठाये गये कदमों के अलावा इसमें सुधार के सुझाव दिये हैं. पत्र में कहा गया है कि इसे अभियान के तौर पर क्रियान्वित करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल या संशोधन करने की जरूरत है.
सभी बैंकों को अपने सर्विस क्षेत्र में पड़नेवाले सभी गांवों में कैंप लगा कर खाते खोलने और एटीएम या ‘रुपे कार्ड’ बांटने को कहा गया है. जिनके बैंक खाते खुल भी रहे हैं, उन्हें ‘रुपे कार्ड’ और इसका पिन नंबर नहीं मिल पा रहा है. बैंकों की दूरी गांवों से बहुत दूर होने के कारण लोग इसे लाने नहीं जा रहे हैं.
21 लाख परिवार अब भी वंचित : दिसंबर, 2014 तक राज्य में 1.53 करोड़ परिवारों के खाते खुल गये हैं. बैंकों के किये सव्रे के अनुसार, राज्य में 1.74 करोड़ परिवार बिना बैंक खातेवाले हैं. इसके मुताबिक, 88 फीसदी परिवार के खाते खुल गये हैं. शेष 12 फीसदी या 21 लाख परिवार बचे हुए हैं., जबकि 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य में बिना बैंक खाता वाले परिवारों की संख्या 1.89 करोड़ है. इसके आधार पर अभी 36 लाख परिवार बचे हुए हैं.
ये दिये सुझाव
प्रत्येक बैंक सभी गांवों में सप्ताह में दो दिन कैंप लगाएं.
कैंप के कुछ दिन पहले इसका प्रचार-प्रसार किया जाये
जिनके खाते खुले हैं, उन्हें कैंप में रुपे कार्ड व पिन नंबर भी मिले
आंगनबाड़ी सेविका, टोला सेवक व अन्य का सहयोग ले सकते हैं
जिस घर में वृद्धावस्था या अन्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन पानेवाले लाभुक हैं, वहां दो खाते खोलें
एक खाता पेंशनधारक का अलग से खोला जाये, घर के मुखिया के नाम पर खाता होने के बाद भी