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किस आधार पर दी अनुमति

पटना: पटना हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि किस आधार पर आवासीय कॉलोनियों में हॉट मिक्सिंग प्लांट लगा दिया गया है. न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा व विकास जैन के खंडपीठ ने शुक्रवार को लोकहित याचिका की सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया. खंडपीठ ने पटना सिटी के गायघाट इलाके में मूक व बधिर स्कूल के […]

पटना: पटना हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि किस आधार पर आवासीय कॉलोनियों में हॉट मिक्सिंग प्लांट लगा दिया गया है. न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा व विकास जैन के खंडपीठ ने शुक्रवार को लोकहित याचिका की सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया. खंडपीठ ने पटना सिटी के गायघाट इलाके में मूक व बधिर स्कूल के पास हॉट मिक्सिंग प्लांट लगाने पर जवाब मांगा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व राज्य सरकार से इस संबंध में 23 जुलाई को जवाब देने को कहा है. न्यायाधीश ने पाटलिपुत्र कॉलोनी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पाटलिपुत्र आवासीय कॉलोनी है. घनी आबादीवाले इस क्षेत्र में किस आधार पर प्लांट लगाने की अनुमति दी गयी. खंडपीठ ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा कि आखिर उसने किस आधार पर अनुमति दी है. बोर्ड ने कोर्ट को बताया कि गायघाट स्थित प्लांट को 2009 में ही बंद करने का आदेश दिया गया है. लेकिन वह अब तक बंद नहीं हुआ है. कोर्ट ने मोतिहारी में भी बीच शहर में हॉट मिक्सिंग प्लांट लगाने की चर्चा की.

..तो अवमानना का मुकदमा
हाइकोर्ट ने कहा है कि कटिहार शहर में डॉ राजेंद्र प्रसाद पथ पर अब अतिक्रमण हुआ, तो अधिकारियों पर सीधे अवमाननावाद का मुकदमा दर्ज किया जायेगा. न्यायाधीश नवीन सिन्हा व विकास जैन के खंडपीठ ने शुक्रवार को यह आदेश जारी किया है. खंडपीठ को बताया गया कि इस पूरी सड़क पर सब्जी विक्रेताओं ने अतिक्रमण कर लिया है. यहां तक कि डिवाइडर पर भी सब्जी बिक्री की जाती है. इस संबंध में कोर्ट पहले भी आदेश जारी कर चुका है. खंडपीठ ने कहा कि पूव्र में अरुण कुमार मुखर्जी की ओर से दायर मामले में कोर्ट ने जो निर्देश जारी किये हैं, उसी आधार पर जिला प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए. इस मामले की अगली सुनवाई एक महीने बाद की जायेगी.

तीन माह में शुरू हो निर्माण
हाइकोर्ट ने नवादा जिले में सकरी नदी पर पुल का निर्माण तीन महीने में आरंभ करने का निर्देश दिया है. न्यायाधीश नवीन सिन्हा व विकास जैन के खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि 12 वर्षों बाद भी पुल का निर्माण कार्य आरंभ नहीं होना गंभीर मामला है. तारकेश्वर सिंह एवं अन्य की ओर से दायर लोक हित याचिका में कहा गया कि आरंभ में इस पुल की लागत दो करोड़ रुपये था. बाद में 16 करोड़ हो गया. अब 32 करोड़ तक पहुंच गया है. जबकि इसके निर्माण से 10 पंचायत के लोगों को लाभ होगा. इस पर कोर्ट ने तीन महीने के भीतर कार्यारंभ का निर्देश दिया.

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