पटना: देश में जितने नागरिक हैं, वे सभी उपभोक्ता हैं. उनके हितों का संरक्षण करने के लिए जल्द ही एक ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण ऑथोरिटी’ का गठन कर दिया जायेगा. यह खास ऑथोरिटी उपभोक्ता से जुड़े सभी तरह के उत्पादों और इनके मामलों को देखेगा. इसके पास पूरा अधिकार होगा. किसी सामान को वापस कराने से लेकर कंपनी के खिलाफ जुर्माना और कंपनी को बंद कराने तक का अधिकार इसके पास होगा. उपभोक्ताओं से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान जल्द करने का इसे पूरा अधिकार होगा.
ये बातें केंद्रीय खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री रामविलास पासवान ने कही. शनिवार को होटल मौर्या में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत भारत में निर्मित उत्पादों को इस स्टैंडर्ड का बनाया जायेगा कि इसे पूरी दुनिया में पहचान मिलेगी. उन्होंने कहा कि सात महीने में सरकार ने महंगाई को नियंत्रित कर लिया है.
आज यह जीरो प्रतिशत पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि आजकल इ-कॉमर्स के माध्यम से फर्जीवाड़ा करने की कई तरह की शिकायतें मिल रहीं हैं. इन्हें भी ऑथोरिटी के माध्यम से हल किया जा सकेगा. राज्य सरकार के सहयोग से इ-कॉमर्स का कारोबार करनेवाली कंपनियों पर नजर रखने के लिए निगरानी समिति का गठन किया जायेगा.
उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए कानून में कई अहम बदलाव किये जा रहे हैं. अब जमाखोरी को नन-बेलेवल एक्ट में शामिल किया जायेगा. इसके तहत गिरफ्तार लोगों की सजा अवधि छह महीने से बढ़ा कर एक साल की जा रही है. इस कानून के लिए जल्द ही एक विधेयक पेश किया जा रहा है.केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्याज और आलू को ‘अनिवार्य या अत्यावश्यक वस्तुओं की सूची’ में शामिल किया गया है. इस वजह से जमाखोरी पर लगाम लगी और इस बार आलू-प्याज के दाम आसमान पर नहीं पहुंचे. एक समय प्याज के चलते सरकार चली गयी थी. इस सूची में पहले से 22 वस्तुएं शामिल हैं. देश में पैदावार की कमी नहीं है. भंडारण की समुचित व्यवस्था नहीं होने से जमाखोरी होती है. सरकार वैज्ञानिक संग्रहण की व्यवस्था कर रही है.
किसानों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के लिए ‘कॉमन नेशनल मार्केट’ की व्यवस्था की जा रही है. इसके लिए राज्य सरकार से भी सहयोग लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि एफसीआइ की गोदामों से दुकानों तक पहुंचने में मिलावट होती है. इसे रोकने के लिए डीपो से लेकर दुकान तक कंप्यूटराइजेशन मॉनीटरिंग सिस्टम तैयार किया जा रहा है. इस महीने के अंत तक इससे संबंधित वी शांताकुमार कमेटी की रिपोर्ट भी आ जायेगी. वर्तमान में देश भर के गन्ना किसानों के पास तीन हजार 567 करोड़ रुपये का बकाया है. अधिकांश बकाया यूपी सुगर मिलों का है.
मंत्री ने कहा- उपभोक्ता फोरम में सुधार के होंगे ये पहल
– सभी स्तर के उपभोक्ता कोर्ट में मामले के निबटारे में लग जाते हैं सालों
– उपभोक्ता फोरम के बारे में विज्ञापन के जरिये लोगों को दी जायेगी जानकारी
– सभी स्तर के उपभोक्ता फोरम का कर दिया जायेगा एक नाम
– दो लाख तक के मामले की सुनवाई के लिए वकील रखने की जरूरत नहीं
– 17 दिनों में कोर्ट को फैसला देने की होगी व्यवस्था
– एक बार निम्न कंज्यूमर फोरम से अंतिम फैसला आने के बाद इसकी सिर्फ एक बार स्टेट फोरम में होगी अपील