पटना सिटी: हजरत इमाम हुसैन इनसानियत के लिए नमुन-ए-हयात हैं. इसका असर हर एक कौम के दिल पर है. मानव धर्म की रक्षा का बीड़ा उठानेवाले हजरत इमाम हुसैन की शहादत मानवीय मूल्यों, उसूलों व सिद्धांतों की राह में कुरबान हो जाने का सबक है. यह बातें बुधवार को लखनऊ से आये मौलाना सैयद कौसर रजा रिजवी ने मजलिस-ए- अजा में तकरीर करते हुए कहीं.
खाजेकलां के संगी दलान स्थित सैयद मेहंदी अली खां साहिब के इमामबाड़ा में जिक्र-ए- शहीदाने करबला व शब्बेदारी को लेकर आयोजित मजलिस-ए- अजा के उपरांत यहां से फिर जुलूस-ए-अलम निकला, जो सदर गली मीर गुलाबी बाग होते हुए पक्की गौरेया स्थित सैयद मोबारक अली साहब के इमाम वारगाह पहुंचा.
यहां पर जिक्र-ए- शहीदाने करबला व शब्बेदारी का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम में यूपी के फैजाबाद से आये अंजुमन-ए- मासुमिया,मुस्तफाबाद से आये अंजुमन-ए- जीनत-ए-इसलाम , मुजफ्फरपुर के अंजुमन-ए- हाशमिया के साथ स्थानीय स्थानीय अंजुमनों में अंजुमन-ए- पंजतनी, दस्त-ए-सज्जदिया , अंजुमन-ए- हैदरी, अंजुमन-ए- अब्बासिया आदि अंजुमन से जुड़े लोगों ने नौहाखानी व मातम किया. इस दरम्यान सैयद मुबारक अली ने दुआ की. कार्यक्रम में सैयद नासिर अली, सैयद तनवीरुल हसन खां तन्नू,सैयद संजर अली खान, परवेज इमाम, जावेद अली, शाह जाैहर इमाम जॉनी आदि जायरीन शामिल हुए. नौहाखानी व मातम का सिलसिला देर रात तक चला.